छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के प्रथम कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रह चुके जस्टिस आर.एस.गर्ग नें बिलासपुर में कहा कि जजों को अपनी संपत्ति का खुलासा करने में कोई बुराई नहीं है मगर इसके लिए निश्चित प्रावधान तय होने चाहिए। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता, नैतिकता एवं दायित्वों की हर क्षेत्र में चर्चा होती है लेकिन मीडिया का क्या दायित्व है और उन दायित्वों से मीडिया यदि भटके तो उसे कौन रोके?
एक विवाह समारोह में शामिल होने आए जबलपुर उच्च न्यायालय के प्रशासनिक जस्टिस श्री गर्ग ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए न्यायाधीशों की संपत्ति सार्वजनिक किए जाने के प्रश्न पर कहा कि यदि जज 15-20 वर्ष पहले कोई संपत्ति खरीदी हो और उसका बाजार मूल्य का आंकलन आज की स्थिति में किया जाता है तो यह विरोधाभाष है, इसके लिए निश्चित प्रावधान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकार के कारण हम लोगों ने जागरूकता बढ़ी है जिसके कारण देशभर में मुकदमों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। उन्होंने बिलासपुर के बारे में कहा कि शहर अच्छा है यहां मुझे भरपूर स्नेह मिला है मगर प्रार्वधानों के कारण वे छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद पर नहीं आ सकते क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का यह प्रावधान है कि जो जज जिस राज्य में पहले पदस्थ रह चुका हो वह वहां का मुख्य न्यायाधीश नहीं बन सकता। पहले यहां तीन जज थे और आज संख्या बढ़कर नौ हो चुकी है भले ही मुकदमें की संख्या में वृद्धि हुई है। मीडिया की भूमिका को लेकर पूछे जाने पर जस्टिस गर्ग ने कहा कि 25 साल पहले मीडिया में जो आता था वह अब नहीं है उसकी जगह विज्ञापन ने ले ली है। आज मुख्यपृष्ठ पर अश्लीलता, फुहड़ता भरे चित्र व सनसनी खेज खबरें रहती है। पहले तो विज्ञापन के जगह तय रहते थे। मीडिया अपनी बातें खुद कहता है दूसरे विभागों में पी.आर ओ भी होते हैं हमारे तो यह भी नहीं है। आज कार्यपालिका न्यायपालिका व व्यवस्थापिका में पारदर्शिता, नैतिकता तथा उसके दायित्वों को लेकर बातें उठती हैं मगर मीडिया में यह कहां तक लागू है।
साभार देशबंधु