Sep 12, 2009

जेट के पायलटों को अवमानना नोटिस

बंबई उच्च न्यायालय ने पायलटों को हडताल पर नहीं जाने के आदेश दिए थे जिसके बावजूद जेट एयरवेज के 400 से भी अधिक पायलट लगातार हड़ताल पर हैं। इस कारण जेट की सैकड़ों उड़ानें रद्द की जा चुकी हैं और यात्रियों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है पायलटों के इस व्‍यवहार के खिलाफ न्यायालय की अवमानना की याचिका दायर कर दी गई है। मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने नेशनल एविएटर्स गिल्ड (एनएजी) के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। इस पर सोमवार को सुनवाई होगी।

विदित हो कि इस मसले को सुलझाने के लिए बुधवार देर रात पायलटों और प्रबंधन की वार्ता विफल हो जाने की वजह से गतिरोध बरकरार है। हड़ताली पायलट अपने सहकर्मियों की सेवाएं बहाल करने की मांग कर रहे हैं। 8 सितंबर, 2009 के अपने आदेश में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार और न्यायमूर्ति ए.एम. खानवेलकर ने एनएजी को औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 22 और 23 के तहत अवैध हड़ताल पर नहीं जाने को कहा था। दो वरिष्ठ पायलटों की बर्खास्तगी के विरोध में 7 सितंबर को पायलटों के सामूहिक चिकित्सा अवकाश पर जाने के बाद जेट ने बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। अपने आदेश में खंडपीठ ने कहा था कि याचिकाकर्ता जेट एयरवेज औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत सार्वजनिक सुविधा सेवा मुहैया करवा रही है। इसलिए न्यायालय ने पायलटों की यूनियन को हड़ताल पर नहीं जाने को कहा था।

इस मसले को सुलझाने में सरकार गुरुवार को योगदान दे सकती है। सरकार इस सिलसिले में अनिवार्य सेवाएं अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा) भी लगाने पर विचार कर सकती है और हड़ताली पायलटों से भी मुलाकात कर सकती है। जेट प्रबंधन ने जोर दिया है कि सामूहिक तौर पर चिकित्सा अवकाश पर गए पायलटों को अपनी बीमारी का चिकित्सा प्रमाण पत्र देना होगा। उधर पायलटों का कहना है कि वे काम पर तभी लौटेंगे जब उनके पांच सहकर्मियों को बहाल किया जाएगा।

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