Sep 13, 2009

एंट्री टैक्स के खिलाफ छत्‍तीसगढ उच्‍च न्‍यायालय में दायर याचिका खारिज

छत्‍तीसगढ हाईकोर्ट ने एंट्री टैक्स के खिलाफ दायर लगभग 65 याचिकाएं पिछले गुरुवार को खारिज कर दी। जस्टिस धीरेंद्र मिश्रा, आरएन चंद्राकर की डिविजन बेंच ने पूर्व में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित किया था। गुरुवार को इस संबंध में फैसला होने के बाद राज्य शासन को सैकड़ों करोड़ रुपए सालाना राजस्व मिलने का रास्ता साफ हो गया। एंट्री टैक्स के खिलाफ अलग-अलग लगभग 65 याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर की गई थीं। याचिकाकर्ताओं में स्टील अथारिटी आफ इंडिया, भिलाई स्टील प्लांट, प्रकाश इंडस्ट्रीज, अल्ट्राटेक, सेंचुरी सीमेंट, बालको, ग्रासिम, बीएसएनएल सहित देश की कई प्रमुख कंपनियां शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राज्य शासन एंट्री टैक्स वसूल रही है लेकिन उस अनुपात में सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा रही।

नगर-निगम व पालिका द्वारा जो सुविधाएं दी जाती हैं, वे नागरिक सुविधाएं हैं जो सभी लोगों को मिलती हैं और इसके एवज में शासन व नगरीय निकाय कई टैक्स वसूलते हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील रविंद्र श्रीवास्तव, देबी पाल, एचएस श्रीवास्तव, मनिंद्र श्रीवास्तव, संजय के. अग्रवाल ने तर्क दिए थे कि शासन औद्योगिक टैक्स अलग से लेती है। इसके बाद एंट्री टैक्स लेना अवैध है। जिंदल स्ट्रीप्स विरुद्ध हरियाणा सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट एंट्री टैक्स अधिनियम को अवैध ठहरा चुका है। जून महीने में इन याचिकाओं पर लगभग एक सप्ताह तक सुनवाई चली।

राज्य शासन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन व महाधिवक्ता प्रशांत मिश्रा ने पैरवी करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट व मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अलग-अलग मामलों में एंट्री टैक्स अधिनियम को वैध ठहराते हुए इसके खिलाफ दायर औद्योगिक संस्थानों की याचिकाएं खारिज की हैं। राज्य शासन की ओर से यह भी कहा गया कि इस टैक्स से मिली राशि से शहरी इलाकों में सड़क, बिजली का मेंटनेंस किया जाता है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट व मध्यप्रदेश हाईकोर्ट द्वारा याचिकाएं खारिज करने का हवाला देते हुए कहा कि उसी मामले को फिर चुनौती नहीं दी सकती।

स्टील अथारिटी आफ इंडिया व प्रकाश इंडस्ट्रीज को लगभग 350 करोड़ रुपए टैक्स देना है। कोर्ट ने पूर्व में उनके पक्ष में स्थगन दिया था। याचिकाएं खारिज होने के बाद उन्हें यह देनदारी चुकानी होगी। प्रदेश में एंट्री टैक्स बड़े देनदारों में बालको भी शामिल है। टैक्स का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा बालको से ही मिलता है।

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