सूचना के अधिकार के तहत जमीन संबंधी जानकारी न देने पर हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार, बिलासपुर कमिश्नर, सूचना आयोग को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने जवाब के लिए 6 सप्ताह का समय दिया है। जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम बुधरा में सीलिंग एक्ट के तहत वर्ष 1976 में 83 एकड़ जमीन 60 लोगों को आबंटित की गई थी। इसमें गांव के अघोरी दास व कचरा दास को भी जमीन आबंटित की गई। क्षेत्र में बांध बनाने के लिए सिंचाई विभाग ने कई लोगों को जमीन आबंटित की। इसमें अघोरी व कचरा की जमीन भी शामिल थी। इनके मुआवजे का प्रकरण शासन के समक्ष विचाराधीन है।
इसी बीच दोनों ने ही सूचना के अधिकार के तहत जमीन के कागजात उपलब्ध कराने के लिए राजस्व विभाग के जनसूचना अधिकारी (तहसीलदार) को आवेदन दिया। निर्धारित समय पर कागजात न मिलने पर उन्होंने कलेक्टर के समक्ष सेकंड अपील की। वहां से भी जानकारी न मिलने पर राज्य सूचना आयोग के समक्ष अपील की। आयोग ने प्रतिवादी को कमिश्नर के समक्ष उपस्थित होकर जवाब देने कहा, लेकिन प्रतिवादी न उपस्थित हुए और न ही चाही गई जानकारी ही उपलब्ध कराई। इसके बाद आवेदक लगातार कमिश्नर के समक्ष आवेदन करते रहे। कमिश्नर ने कलेक्टर को और कलेक्टर, तहसीलदार को आदेश जारी करते रहे, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। इसी बीच कमिश्नर ने तहसीलदार पर 1000 रुपए जुर्माना व आवेदक को मानसिक क्षतिपूर्ति बतौर 250 रुपए देने का आदेश किया। इस आदेश का भी असर न होने पर अघोरी व कचरादास ने वकील मीना शास्त्री के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई के बाद कोर्ट ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया।