जिला कलेक्टर न्यायालय, ग्वालियर ने 7 सितंबर के एक आदेश में कहा था कि शालू ट्रेडर्स ने मप्र शासन शक्कर व्यापारी अनुज्ञापन तथा नियंत्रण आदेश 2009 की शर्र्तो का उल्लंघन किया है जिसके फलस्वरूप जब्तशुदा शक्कर शासन के हित में राजसात की जाती है। शक्कर क्षयशील पदार्थ है, इस कारण इसे अधिक दिनों तक नहीं रखा जा सकता और जमाखोरी पर नियंत्रण के लिए इसकी लोकहित में उचित मूल्य पर बिक्री की जाए। शक्कर मार्केटिंग सोसाइटी मुरार एवं जिला सहकारी थोक उपभोक्ता भंडार के माध्यम से प्रत्येक माह प्रति पखवाड़े एक राशनकार्ड पर दो किलो शक्कर 28 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेची जाए।
मैसर्स शालू ट्रेडर्स, मोहना के प्रोपराइटर लज्जाराम राठौर ने उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत कर कहा था कि कलेक्टर ने उनकी 160 क्विंटल शक्कर जब्त कर ली थी। लज्जाराम राठौर ने याचिका में खाद्य व नागरिक आपूर्ति विभाग के सचिव व कलेक्टर को प्रतिवादी बनाया था। म.प्र. उच्च न्यायालय के ग्वालियर खण्डपीठ के न्यायमूर्ति एस. के. गंगेले ने इस टिप्पणी के साथ याचिका खारिज कर दी कि आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 6 (ग) के तहत अपील जिला न्यायालय में करने का प्रावधान है। उन्होंने याचिका के साथ स्थगन आदेश का आवेदन भी खारिज कर दिया है। इस मामले में शासन का पक्ष अतिरिक्त महाधिवक्ता श्याम बिहारी मिश्रा ने रखा.