Sep 23, 2009

महाभारत काल से चली आ रही है मध्यस्थता की परंपरा

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में छत्‍तीसगढ की राजधानी रायपुर के एक निजी होटल में तीन दिनों से चल रहे राज्य स्तरीय मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश टी.पी. शर्मा की उपस्थिति में सोमवार को हुआ। समारोह में छत्तीसगढ़ शासन के विधि एवं विधायी विभाग के प्रमुख सचिव आरएस शर्मा, राज्यपाल के विधिक सलाहकार टीके चक्रवर्ती, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के एडिशनल रजिस्ट्रार राजेश श्रीवास्तव उपस्थित थे।

श्री शर्मा ने कहा कि मध्यस्थता की प्रथा शुरु से रही है और मध्यस्थ की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है। महाभारत काल में भगवान कृष्ण पांडवों के लिए पांच गांव मंगाने के लिए कौरवों के पास आए थे। उसी तरह भगवान राम ने भी युद्ध प्रारंभ होने के पूर्व अंगद को मध्यस्थ बनाकर रावण के पास भेजा था और ऐसे आदमी की मध्यस्थ चुना गया जो विश्वास पात्र था। उन्होंने कहा कि यह मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम का प्रथम चरण था, द्वितीय चरण भी जल्द ही होगा। तीन दिवसीय मध्यस्थता प्रशिक्षण शिविर में दिल्ली से विशेष योग्यता प्राप्त ट्रेनर डॉ. सुधीर कुमार जैन, डॉ. रेणु अग्रवाल, केके माखीजा ने मध्यस्थता की तथा विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया।

उन्होंने मध्यस्थता से किस तरह दोनों पक्ष से विजय प्राप्त करते हुए हमेशा के लिए अपने विवाद का अंत स्वयं के द्वारा सुझाए गए समाधान से करते है, इसके लिए कई तरह के स्लाइड, रोल प्ले के माध्यम से ट्रेनर द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। कार्यक्रम में राज्य अधिवक्ता संघ के सदस्य केके शुक्ला एवं विधिक सहायता पेनल के अधिवक्ताओं ने हिस्सा लिया।

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