छत्तीसगढ हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने जूनियर वकीलों की हालत सुधारने की दिशा में पहल की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष ने सभी वरिष्ठ अधिवक्ताओं के नाम पत्र लिखकर कहा है कि वे अपने जूनियरों को इतनी फीस दें कि ताकि उनको जीवन निर्वाह में कोई कठिनाई न हो।
हाईकोर्ट में जूनियर वकीलों को आमतौर पर काफी संघर्ष करना पड़ता है। अधिकतर कनिष्ठ वकील किसी न किसी सीनियर वकील के अंडर में प्रेक्टिस शुरू करते हैं। इसके पीछे वजह है कि नए वकीलों को हाईकोर्ट में काम करने का न अनुभव होता और न ही उनकी पहचान होती है।
सीनियर के अंडर में रहकर जहां वह कोर्ट में एपीयर होने के तरीके सीखते हैं, वहीं उन्हें याचिका तैयार करने व प्रस्तुत करने की ट्रेनिंग भी मिलती है। इसका फायदा सीनियर एडवोकेट उठाते हैं और कई बार अच्छा काम करने के बाद भी जूनियर को उस अनुपात में मेहनताना नहीं मिल पाता।
इसे ख्याल में रखते हुए हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वी.जी .तामस्कर ने एक सरकुलर जारी किया है। इसमें सभी सीनियर एडवोकेट को अपने जूनियर्स का ख्याल रखने की नसीहत दी गई है।
हाईकोर्ट के सभी वरिष्ठ और वरिष्ठतम वकीलों से निवेदन है कि वे अपने अधीन काम करने वाले जूनियर्स को इतनी फीस दें कि वे कम से कम अपने जीवन की न्यूनतम आवश्यकताएं पूरी कर सकें।