उच्चतम न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के उस रवैये की आलोचना की है, जिसमें बलात्कार के एक आरोपी को रिहा किए जाने के खिलाफ अपील की मंजूरी के राज्य सरकार के अनुरोध को खारिज कर दिया गया।
न्यायमूर्ति अरिजित पसायत और मुकुंदकम शर्मा की पीठ ने अफसोस व्यक्त किया कि उच्च न्यायालय ने सरकार के अनुरोध को खारिज करते हुए कोई कारण नहीं बताया।
न्यायालय ने फैसले में कहा कि सुनवाई अदालत को किसी नतीजे पर पहुँचने के पहले सभी सबूतों पर विचार करना चाहिए था। अगर निचली अदालत की ओर से खामी हुई तो उच्च न्यायालय को अपील पर विचार करना चाहिए था।
गौरतलब है कि मनोज के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और 511 के तहत मामले थे और सुनवाई अदालत ने उसे रिहा कर दिया था।
न्यायमूर्ति अरिजित पसायत और मुकुंदकम शर्मा की पीठ ने अफसोस व्यक्त किया कि उच्च न्यायालय ने सरकार के अनुरोध को खारिज करते हुए कोई कारण नहीं बताया।
न्यायालय ने फैसले में कहा कि सुनवाई अदालत को किसी नतीजे पर पहुँचने के पहले सभी सबूतों पर विचार करना चाहिए था। अगर निचली अदालत की ओर से खामी हुई तो उच्च न्यायालय को अपील पर विचार करना चाहिए था।
गौरतलब है कि मनोज के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और 511 के तहत मामले थे और सुनवाई अदालत ने उसे रिहा कर दिया था।
साभार - वेबदुनिया