इस साल उड़ीसा में सांप्रदायिक हिंसा के 158 मामले दर्ज किए गए जो देश के सभी राज्यों में दर्ज ऐसे मामलों की तुलना में सबसे ज्यादा हैं।
केंद्र सरकार के एक बयान के अनुसार इस साल के प्रथम नौ महीनों में दर्ज ऐसे मामलों की संख्या राज्य में 2000 से 2007 के बीच दर्ज सांप्रदायिक मामलों से ज्यादा हैं।
सरकार द्वारा बनाई गई रिपोर्ट के अनुसार इस साल सितंबर तक उड़ीसा में सांप्रदायिक हिंसा के 158 मामले दर्ज हुए जबकि 2007 के अंत तक सात सालों में 151 मामले दर्ज हुए।
इस साल सांप्रदायिक दंगों में राज्य में मरने वालों का आंकड़ा भी सर्वाधिक 41 था। वर्ष 2000.-07 के दौरान राज्य हिंसा में मरने वालों की संख्या 22 थी।
उड़ीसा के बाद मध्यप्रदेश का स्थान है जहां इस साल सांप्रदायिक दंगों के 99 मामले हुए और 19 लोग मौत का शिकार बने।
बयान में कहा गया है कि छह राज्यों अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मणिपुर, मेघालय मिजोरम और नागालैंड में पिछले आठ सालों में सांप्रदायिक हिंसा का एक भी मामला सामने नहीं आया है। त्रिपुरा, उत्तरांचल और गोवा जैसे राज्यों में कभी कभार सांप्रदायिक हिंसा के मामले हुए।
कर्नाटक में इस साल सांप्रदायिक हिंसा के 76 मामले सामने आए जिसमें तीन लोगों की मौत हुई और 99 घायल हुए। कर्नाटक में पिछले आठ सालों में 580 ऐसे मामले दर्ज हुए जिसमें 64 लोग मारे गए और 2016 लोग घायल हुए।
पूरे देश के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में हर साल सांप्रदायिक हिंसा के करीब 700 मामले सामने आ रहे हैं। वर्ष 2000 में 599 मामले दर्ज हुए जिनकी संख्या अगले साल 824 तक पहुंच गई। वर्ष 2002, 03, 04, 05, 06 और 2007 में क्रमश: 722, 711, 677, 779, 698 और 761 मामले दर्ज हुए।
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