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न्यायमूर्ति सी के ठक्कर और न्यायमूर्ति डी के जैन की पीठ ने हालांकि यह भी कहा कि डाक्टर के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला नहीं चलाया जा सकता जिसके तहत कड़ी सजा का प्रावधान है। खंडपीठ ने यह फैसला एक डाक्टर के सम्मन के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया जिस पर एक मरीज की मौत का मुकदमा चल रहा है। याचिका में एक रोगी की मौत के मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 304 [गैर इरादतन हत्या] के तहत अभियोजन चलाए जाने को लेकर निचली अदालत की ओर से जारी सम्मन को चुनौती दी गई थी। इसमें जहां जल्दबाजी और लापरवाह तरीके से कार्य भारतीय दंड संहिता की धारा 304 ए के तहत अधिकतम दो साल की सजा का प्रावधान है वहीं धारा 304 के तहत अधिकतम उम्रकैद की सजा दी जा सकती है।
भारतीय संविधान की धारा 304 के अनुसार डाक्टरों द्वारा जल्दबाजी और लापरवाही में अगर किसी मरीज की मौत हो जाती है तो उसे कम से कम दो वर्ष की सजा हो सकती है। इस मामले में मथुरा की एक अदालत ने एक व्यक्ति की शिकायत पर डाक्टर महादेव प्रसाद कौशिक को सम्मन दिया था। शिकायत में कहा गया था कि उसके पिता बुद्ध राम को शरीर में दर्द की शिकायत के बाद डाक्टर के पास लाया गया था। डाक्टर द्वारा तीन इंजेक्शन दिए जाने के बाद उनकी मौत हो गई।
याहू जागरण