Sep 30, 2008

भागीदारी विलेखों के शुल्‍कों में वृद्वि

अधिसूचना क्रमांक एफ 4-12/04/11/(6) दिनांक 4 जुलाई 2008

भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 (संशोधित नियम 1998) अनुकूल (क्र. 34 सन् 1998) अनुसूची 1 की धारा 71 की उपधारा (1) द्वारा प्रदत्‍त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए, राज्‍य सरकार एतद्द्वारा, अनुसूची में दर्शित दर के अधिकतम शुल्‍क में 5 प्रतिशत की वृद्वि करता है .

अत: उक्‍त अधिनियम की धारा 3 के अनुसार निम्‍नलिखित अनुसूची स्‍थापित की जाये, अर्थात :-

अनुसूची - 1
(धारा 71 की उपधारा (1) देखिये)

1. धारा 58 के अधीन कथन - 551/- रूपये
2. धारा 60 के अधीन कथन - 110/- रूपये
3. धारा 61 के अधीन प्रज्ञापना - 110/- रूपये
4. धारा 62 के अधीन प्रज्ञापना - 56/- रूपये
5. धारा 63 के अधीन सूचना - 110/- रूपये
6. धारा 64 के अधीन आवेदन - 56/- रूपये
7. धारा 66 की उपधारा (1) एवं (2) के अधीन फर्मों के रजिस्‍टर एवं दस्‍तावेजों का नीरीक्षण - 27/- रूपये
8. धारा 67 के अधीन फर्मों के रजिस्‍टर में से प्रतियॉं प्रत्‍येक 100 शव्‍द या उसके भाग के लिए - 12/- रूपये

परन्‍तु राज्‍य सरकार प्रत्‍येक दो वर्ष में उपरोक्‍त दर के अधिकतम पॉंच प्रतिशत के अध्‍याधीन रहते हुए दर में वृद्वि कर सकेगी ।

टिप्‍पणी - ऐसे मामले में जहॉं आवेदक धारा 67 के अधीन फर्मों के रजिस्‍टर में प्रतियों की शीध्र अर्थात पॉंच कार्य दिवसों के भीतर अपेक्षा करता है, वहॉं फीस की दुगनी रकम के साथ पृथक आवेदन फाईल करेगा और सक्षम प्राधिकारी, पॉंच कार्य दिवसों के भीतर प्रतियॉं देगा ।

(छत्‍तीसगढ राजपत्र भाग 1 दिनांक 8.8.2008 पृष्‍ट 2390 पर प्रकाशित)

My Blog List