Showing posts with label सीआरपीसी की धारा 436. Show all posts
Showing posts with label सीआरपीसी की धारा 436. Show all posts

Oct 28, 2008

जमानती मामले में फंसे गरीब कैदियों को मुचलके पर छोडें

बांबे हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि किसी जमानती अपराध के सिलसिले में गिरफ्तार व्यक्ति आर्थिक तंगी के कारण जमानत दे पाने में असमर्थ हो तो उसे एक सप्ताह के भीतर निजी मुचलके पर रिहा कर दिया जाना चाहिए।


कोर्ट ने कहा है कि सीआरपीसी की धारा 436 में हुए संशोधन में इस बात के स्पष्ट प्रावधान किए गए हैं। इसके अनुसार, यदि आरोपी एक हफ्ते के भीतर जमानतदार का बंदोबस्त कर पाने में अक्षम हो तो उसे निर्धन मानकर निजी मुचलके पर भी रिहा किया जा सकता है। कोर्ट ने यह चेतावनी भी दी है कि उसके इस निर्देश का पालन नहीं किया गया तो संबंधित जेल प्रभारी को अपनी जेब से मुआवजा भरना होगा।

क्यों दिया ऐसा फैसला : जस्टिस एफआई रिबेलो तथा आशुतोष कुंभकोणी की बेंच ने इस साल के प्रारंभ में महाराष्ट्र के येरवदा और रत्नागिरी की जेलों का दौरा करने के बाद पाया कि मामूली अपराध के सिलसिले में कई विचाराधीन कैदी जेल में इसलिए बंद हैं, क्योंकि वे अपने लिए जमानतदार नहीं जुटा सके। अब एक हत्या के मामले में आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि अकेले मुंबई के आर्थर रोड जेल के 2296 कैदियों में से 1660 कैदी जमानती अपराधों के सिलसिले में बंद हैं।
कोर्ट हैरान : जजों ने इस पर हैरानी जताते हुए कहा कि तीन साल पहले लागू सीआरपीसी की धारा 436 (संशोधित) के अनुसार, एक सप्ताह के भीतर जमानतदार न जुटा पाने पर आरोपी को निर्धन मान लिए जाने का प्रावधान है।

कोर्ट के निर्देश : कोर्ट ने महाराष्ट्र और केंद्र शासित क्षेत्र दीव, दमन और दादरा व नगर-हवेली को इस संशोधित प्रावधान को फौरन लागू करने को कहा है। इसके अलावा प्रमुख सेशंस जजों से भी कहा गया है कि वे निचली अदालतों से हर माह रिहा किए जाने वाले कैदियों के बारे में रिपोर्ट मांगें। बांबे हाईकोर्ट हर साल इस मामले की समीक्षा करेगी।

समाचार - भास्‍कर से साभार

My Blog List