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Apr 15, 2010

एसडीएम का आदेश हुआ निरस्त

बिलासपुर हाईकोर्ट ने सरपंच के आर्थिक अधिकार पर रोक लगाने के एसडीएम के आदेश को निरस्त कर दिया है। 36 गढ़ सरगुजा के प्रतापपुर क्षेत्र के ग्राम कनकपुर में सीताबाई सरपंच निवार्चित हुई है। चुनाव के बाद पराजित प्रत्याशी श्रीमती दुर्गावती ने प्रतापपुर एसडीएम के समक्ष चुनाव याचिका प्रस्तुत कर कहा कि ग्राम पंचायत कनकपुर अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है। निर्वाचित सरपंच इस वर्ग की नहीं हैं। इस कारण से उसके निर्वाचन को शून्य कर दी जाए। 

याचिका पर मार्च में सुनवाई होनी थी। सुनवाई की तारीख बढ़ने पर याचिकाकार्ता ने सरपंच के आर्थिक अधिकार पर रोक लगाने की मांग की। आवेदन पर एसडीएम ने २७ मार्च को सरपंच सीताबाई के आर्थिक अधिकारों पर रोक लगा दी। इस आदेश के खिलाफ सीताबाई ने हाईकोर्ट में याचिका पेश की। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने एसडीएम के आदेश को निरस्त कर दिया है।

Feb 11, 2010

जोगी के खिलाफ चुनाव याचिका पर हुई सुनवाई

जाति प्रमाणपत्र को बनाया गया था आधार 

पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के खिलाफ नंदकुमार साय द्वारा दायर किए गए उस आवेदन को खारिज कर दिया गया है, जिसमें हाईकोर्ट के २००५ के नियमों का हवाला देते हुए श्री जोगी के जाति प्रमाण पत्र को मंगाने का आग्रह किया गया था। श्री साय ने श्री जोगी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका लगाई है। इस पर बुधवार को सुनवाई हुई। प्रकरण की अगली सुनवाई १७ मार्च को होगी।

पूर्व मुख्यमंत्री श्री जोगी वर्ष २००३ में मरवाही विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए। इस चुनाव में भाजपा उम्मीदवार नंदकुमार साय सहित कुल ७ प्रत्याशी थे। श्री साय ने श्री जोगी के निर्वाचन को चुनौती देते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दायर की है। यह मामला २००४ से लंबित है। इसमें उन्होंने सभी उम्मीदवारों को पक्षकार बनाया है। याचिका में कहा गया है कि मरवाही विधानसभा क्षेत्र आदिवासी वर्ग के लिए सुरक्षित है, जबकि श्री जोगी की जाति को लेकर अभी विवाद है। याचिका के अनुसार श्री जोगी आदिवासी वर्ग से नहीं हैं। याचिकाकर्ता श्री साय ने अपनी याचिका में श्री जोगी द्वारा हाईस्कूल व इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रस्तुत जाति प्रमाण पत्र को हाईकोर्ट में मंगाने का आग्रह किया था। उनका कहना था कि वर्तमान में उनके पास विभिन्न जगहों के जाति प्रमाणपत्र हैं, जिसके कारण उनकी जाति का मामला उलझ गया है। याचिकाकर्ता श्री साय ने इस मामले में हाईकोर्ट के नियम २००५ के ३१९ के प्रावधानों का हवाला देते हुए जाति प्रमाण पत्र से संबंधित दस्तावेज दिखाने की मांग की थी। बुधवार को इस आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि २००५ के नियम में परिवर्तन कर २००७ में नया नियम लागू किया गया है। लिहाजा आवेदन को खारिज किया जाए। जस्टिस टीपी शर्मा ने श्री जोगी के वकील की दलीलों से सहमत होकर श्री साय का आवेदन खारिज कर दिया। साथ ही उन्हें नए नियम के अनुसार आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की छूट दी गई है।

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