वादीगण की ओर से वादभूमि का वर्ष 2003-04 की बी-1 किस्तबंदी खतौनी, खसरा एवं नक्शा की प्रति क्रमश: प्र.पी.1, प्र.पी.2 व प्र.पी.3 प्रस्तुत की गई है, जिनमें वादभूमि जरहाराम के नाम से बतौर भूमिस्वामी दर्ज है। उक्त दस्तावेजों के अतिरिक्त वादभूमि से संबंधित अन्य केाई दस्तावेज जैसे वादभूमि क्रय करने से संबंधित विक्रय-पत्र की प्रति अथवा नामंातरण पंजी की प्रति भी अभिलेख में नहीं है, जिससे यह अनुमान लगाया जा सके कि उक्त संपत्ति जरहाराम के नाम कैसे दर्ज हुई। वादीगण द्वारा परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर अन्य जगहों पर भी संयुक्त परिवार की संपत्ति से भूमि क्रय किए जाने का अभिवचन किया गया है, किंतु न तो परिवार के ऐसे सदस्यों के नाम अथवा ना ही क्रय की गई कथित भूमियों के संबंध में कोई स्पष्ट अभिवचन अथवा दस्तावेज प्रस्तुत किए गए हैं।स्वत्व घोषणा का वाद निम्न न्यायालय का फैसलाा न्यायालय-व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-दो दल्लीराजहरा, जिला दुर्ग, छत्तीसगढ़
UK: The Supreme Court on the 'creditor duty' - its existence, content and
engagement
-
And so we have it - one of the most important company law judgments of
recent years: BTI 2014 LLC v Sequana SA & Ors [2022] UKSC 25. The existence
of the c...
1 year ago