माननीय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने गुरूवार को राज्य शासन द्वारा प्रस्तुत की गई उस अपील को खारिज कर दिया है जिसमें राज्य शासन ने मंडल संयोजकों को मुख्य कार्यपालन अधिकारी विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी के पद पर पदोन्नति दिए जाने संबंधी माननीय उच्च न्यायालय के एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी थी।
मंडल संयोजकों के पद पर पिछले 20 से 25 वर्षों से अधिक अवधि तक कार्य करने के पश्चात एक भी पदोन्नति न मिलने से क्षुब्ध मंडल संयोजकों की याचिका स्वीकार करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने वर्ष 2010 में राज्य शासन के अजा अजजा कल्याण विभाग को मंडल संयोजकों की पदोन्नति हेतु 4 माह में डीपीसी आयोजित करने का आदेश जारी किया था। उक्त आदेश का परिपालन न करने के कारण राज्य शासन को अवमानना की कार्यवाही भी झेलनी पड़ी जिसमें क्षमा मांगते हुए राज्य शासन ने आदेश समझने में भूल होने का कारण बताते हुए और समय चाहा जो माननीय उच्च न्यायालय ने न्यायहित में दिया। समय मिलने के बाद भी राज्य शासन ने पदोन्नति की कार्यवाही नहीं की तथा माननीय उच्च न्यायालय की खंडपीठ में अपील प्रस्तुत की जिसे बाद में यह कह कर वापस ले लिया कि वे एकल पीठ के समक्ष पुनरीक्षण याचिका प्रस्तुत करना चाहते हैं।
एकल पीठ ने पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी उसे लेकर राज्य शासन ने पुनः अपील दायर की जिसमें एकलपीठ के द्वारा पारित आदेश तथा पुनरीक्षण आदेश को चुनौती दी गई थी। मंडल संयोजकों की ओर से अधिवक्ता जितेन्द्र पाली, वरूण शर्मा ने मंडल संयोजकों का पक्ष रखा । माननीय न्यायालय ने राज्य शासन से प्रश्न किया की नियमानुसार कार्यवाही करने में क्या कठिनाई है। अंततः निचले सभी आदेशों को सही पाते हुए तथा राज्य शासन के तर्कों की सुनवाई करते हुए माननीय न्यायमूर्ति श्री सुनील सिन्हा तथा राधेश्याम शर्मा ने राज्य शासन की अपील खारिज कर दी है तथा जिससे मंडल संयोजकों की पदोन्नति विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर होने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।