याचिकाकर्ता राजेन्द्र शंकर शुक्ला व अन्य की निजी भूमि ग्राम डूमरतराई रायपुर में स्थित है। राज्य शासन ने वर्ष 2008 में कमल विहार इंटीग्रेटेड टाउनशिप के नाम से एक योजना बनाई जिसमें कुल 416 एकड़ भूमि पर विकास कर एक छोटी टाउनशिप बनाई जानी थी। उक्त योजना को राज्य सरकार से अनुमति मिल गई थी। वर्ष 2009 में रायपुर विकास प्राधिकरण आरडीए के कहने पर उक्त योजना का आकार बढ़ाकर 2300 एकड़ कर दिया गया तथा इस आशय की अधिसूचना जारी कर दी गई । उक्त अधिसूचना के द्वारा दावाआपत्ति मंगवाई गई जिसमें याचिकाकर्ता समेत लगभग 2500 लोगों ने उक्त योजना के विरोध में आपत्ति दर्ज करवाई। इसी दौरान जून 2010 में आरडीए ने बैठक कर उक्त योजना को अंतिम रूप दे दिया तथा उक्त योजना जोकि एक छोटी योजना होनी थी उसे कमल विहार नगर विकास योजना का रूप दे दिया। उक्त योजना छग नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 के प्रावधानों के विपरीत होने से याचिकाकर्ता तथा अन्य प्रभावित लोगों ने अपने अपने स्तर पर विरोध दर्ज कराया। उक्त योजना की सबसे बड़ी खामी यह थी कि संबंधित ग्राम पंचायतों तथा नगर निगम से जोनल प्लान मंगाए बिना ही नगर विकास योजना को लागू कर दिया गया है जोकि अवैध है।
राज्य शासन ने आपत्तियों की सुनवाई किए बगैर आनन फानन में अधिसूचना जारी करते हुए योजना के क्रियान्वयन हेतु निविदाएं आमंत्रित करना आरंभ कर दिया। याचिकाकर्ताओं द्वारा बताया गया है कि राज्य शासन के व्यवहार से क्षुब्ध याचिकाकर्ताओं ने वरिष्ठ अधिवक्ता श्री कनक तिवारी के माध्यम से माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में पी.सैम कोशी, जितेन्द्र पाली तथा वरुण शर्मा के द्वारा याचिका प्रस्तुत की। उक्त याचिका की प्रारंभिक सुनवाइयों में उच्च न्यायालय ने राज्य शासन, आरडीए तथा संबंधित ग्राम पंचायतों को प्रतिउत्तर प्रस्तुत करने हेतु समय दिया परंतु 4 माह से अधिक का समय बीतने पर भी राज्य शासन तथा आरडीए की ओर से कोई उत्तर प्रस्तुत नहीं किया गया।
सुनवाई की तारीख आने पर आरडीए द्वारा आनन फानन में अन्य याचिका में प्रस्तुत जवाब को अपनाने संबंधी आवेदन दिया गया। राज्य शासन द्वारा जवाब प्रस्तुत करने हेतु अवसर की मांग की गई तथा बताया गया कि केवल अधोसंरचनात्मक कार्यों हेतु निविदाएं जारी की गई हैं । याचिका की सुनवाई करते हुए माननीय न्यायमूर्ति श्री सतीश अग्निहोत्री जी की एकलपीठ ने बिना विधिक अधिग्रहण किए निजी भूमि पर प्रवेश करना विधिविरुद्ध पाते हुए तथा राज्य शासन को यह निर्देश जारी किया है कि याचिकाकर्ताओं की भूमि पर कमल विहार योजना से संबंधित कोई भी निर्माण कार्य भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही किए बिना न किया जाए।
माननीय उच्च न्यायालय ने कमल विहार योजना के विरुद्ध दायर सभी याचिकाओं की सुनवाई की अगली तारीख 21 सितंबर तय की है।