Jun 27, 2011

मुख्‍य सचिव, प्रधान मुख्‍य वन संरक्षक और प्रधान वन संरक्षक को नोटिस जारी


माननीय उच्‍च न्‍यायालय, बिलासपुर ने लोक आयोग की सिफारिश के आधार पर बिना सम्‍यक विचार किए विभागीय जांच आरंभ करने पर छग शासन के मुख्‍य सचिव तथा प्रधान मुख्‍य वन संरक्षक व अन्‍य को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्‍तुत करने का आदेश पारित किया है।
अधिवक्‍ता जितेन्‍द्र पाली




याचिकाकर्ता तपेश कुमार झा वर्तमान में छत्‍तीसगढ़ पर्यटन मंडल में प्रबंध निदेशक के पद पर पदस्‍थ हैं। वर्ष 2007 में शिकायत के आधार पर लोक आयोग ने याचिकाकर्ता के विरूद्ध जांच आरंभ की। याचिकाकर्ता के खिलाफ यह आरोप लगाया गया कि मार्च 2004 में वनमंडलाधिकारी पद पर रहते हुए याचिकाकर्ता ने फर्जी मस्‍टर रोल बनाकर मजदूरी का भुगतान दर्शाया है ज‍बकि मजदूरों ने काम ही नहीं किया। याचिकाकर्ता ने लोक आयोग के समक्ष उपस्थित होकर अपना जवाब प्रस्तुत किया तथा विधिक प्रावधानों सहित यह निवेदन किया कि वनमंडलाधिकारी के रूप में याचिकाकर्ता का कार्य केवल निचले अधिकारियों के द्वारा दिए जाने वाले मस्‍टर रोलों पर सत्‍यापन व हस्‍ताक्षर करना होता है। वन वित्‍तीय संहिता के नियम 83 (2) के अनुसार वनमंडलाधिकारी को परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा सूक्ष्‍म जांच की गई है ऐसी प्रत्‍याशा में सत्‍यापन करना होता है। राज्‍य शासन ने अपनी प्रारंभिक जांच में उक्‍त तर्क को स्‍वीकार कर याचिकाकर्ता को निर्दोष माना। परंतु लोक आयोग ने विधिक प्रावधानों को नजरअंदाज करते हुए याचिकाकर्ता को विभाग प्रमुख होने के कारण गबन का दोषी मानते हुए मुख्‍य सचिव से याचिकाकर्ता को दीर्घ शास्ति  ऐसी सिफारिश कर डाली। याचिकाकर्ता ने लोक आयोग से पुनर्विचार करने का इस आधार पर आग्रह किया कि लोक आयोग के द्वारा वन वित्‍तीय नियम के खंड 1 कार्य का संपादन नियम 4 के उपनियम 6 को आधार मानकर आदेश जारी किया है जोकि वर्तमान मस्‍टर रोल प्रकरण में लागू नहीं होता है तथा मस्‍टर रोल के भुगतान हेतु नियम अलग है। याचिकाकर्ता ने यह भी निवेदन किया कि अपने अनुशंसा के आदेश में लोक आयोग ने यह माना है कि हालांकि नियमानुसार याचिकाकर्ता का सीधा दायित्‍व नहीं है पर उच्‍च अधिकारी होने के कारण वे अपने दायित्‍व से नहीं बच सकते। उक्‍त पुनर्विलोकन याचिका पर लोक आयोग ने कोई निर्णय नहीं दिया ।





राज्‍य शासन ने उक्‍त अवैध सिफारिश पर आंख मूंदकर विश्‍वास करते हुए याचिकाकर्ता के विरूद्ध विभागीय जांच संस्थित कर दी। याचिकाकर्ता ने विवश होकर अधिवक्‍ता जितेंद्र पाली तथा वरुण शर्मा के माध्‍यम से माननीय उच्‍च न्‍यायालय में याचिका प्रस्‍तुत की है। उच्‍च न्‍यायालय की माननीय न्‍यायमूर्ति श्री मनींद्र मोहन श्रीवास्‍तव की एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए राज्‍य शासन, प्रधान मुख्‍य वन संरक्षक तथा  प्रधान वन संरक्षक को नोटिस जारी किया है।

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