रामअवतार जग्गी हत्याकांड मामले में अमित जोगी की रिहाई के खिलाफ सीबीआई ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अपील में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई है। राकांपा नेता श्री जग्गी की रायपुर के मोहदापारा में अप्रैल 2004 की रात गोली मारकर हत्या कर दी गई। विधानसभा चुनाव के समय हुई हत्या को राजनीतिक कारण बताया गया। लंबी जांच-पड़ताल के बाद सीबीआई ने शूटर चिमन सिंह, याहया ढेबर, 5 पुलिस अधिकारियों सहित अमित जोगी को आरोपी करार दिया। सीबीआई ने अमित को जग्गी हत्याकांड का मुख्य आरोपी बताते हुए 31 जुलाई 2005 को गिरफ्तार कर रायपुर के न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया था। हत्याकांड में 30 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। कार्रवाई के उपरांत सीबीआई सुप्रीम कोर्ट गई। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई के विशेष न्यायाधीश बी.एल. तिड़के ने सुनवाई की। लगातार सुनवाई के उपरांत उन्होंने 31 मई 2007 को हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त अमित जोगी को दोषमुक्त करते हुए रिहा करने का आदेश दिया। वहीं, हत्याकांड के आरोपी शूटर चिमन सिंह, याहया समेत अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई।
कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार व मृतक स्व. जग्गी के पुत्र सतीश जग्गी ने पहले से ही हाईकोर्ट में अपील की है। प्रकरण हाईकोर्ट में लंबित है। वहीं, निर्णय आने के चार वर्ष बाद सीबीआई ने निचली अदालत के निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की है। 700 पन्नों की अपील में हत्याकांड के मुख्य आरोपी अमित को बरी किए जाने को चुनौती है। अपील फिलहाल रजिस्ट्रार कार्यालय में पेश की गई है।