Feb 18, 2011

मध्यस्थों की मदद से सुलझ रहे अदालती मामले


ये होते हैं मध्यस्थ: मध्यस्थ उन वकीलों को नियुक्त किया जाता है जो वकील के तौर पर 15 सालों से ज्यादा समय से कार्य कर रहे हैं और जिन्होंने मध्यस्थता संबंधी 40 घंटे का प्रशिक्षण लिया हो। इस योग्यता के आधार पर हाईकोर्ट मध्यस्थ नियुक्त करता है। रिटायर्ड जज या वरिष्ठ अफसर को भी मध्यस्थ नियुक्त किया जा सकता है।




 
उच्‍च न्‍यायालय मध्‍यस्‍थता समिति

बिलासपुर हाईकोर्ट व जिला न्यायालयों में लंबित मामलों को सुलझाने में मध्यस्थता कारगर साबित हो रही है। जनवरी 2008 में हाईकोर्ट में मध्यस्थता केंद्र शुरू होने के बाद राज्य के सभी 16 जिलों के जिला न्यायालय में भी एक-एक मध्यस्थता केंद्र स्थापित किए गए हैं। इनकी स्थापना के बाद राज्य में अब तक 177 मामले मध्यस्थता के माध्यम से निराकृत हो चुके हैं। सस्ता और जल्दी न्याय दिलाने के लिए मध्यस्थता अधिनियम बनाया गया है। इस अधिनियम के अनुसार मध्यस्थता उन सभी मामलों में की जा सकती है, जो किसी भी न्यायालय में लंबित हो। इसके लिए दोनों पक्षकार आपसी सहमति से किसी मध्यस्थ (जो अदालत से मान्य हो) को अपना विवाद निराकृत करने के लिए अधिकृत करते हैं।वह दोनों पक्षों को स्वतंत्र तौर पर सुनकर समझौते के लिए मनाने की कोशिश करता है। सभी पक्ष अगर मान जाते हैं तो इस समझौते को लिखित में तैयार करने के बाद संबंधित कोर्ट में प्रस्तुत किया जाता है। इस समझौते के आधार पर कोर्ट आदेश पारित कर देते हैं। मध्यस्थता के बाद हुआ समझौता अंतिम होता है। इसमें पक्षकारों के बीच विवाद खत्म होने के साथ ही समय और खर्च की बचत होती है। आपसी सहमति से होने के कारण पक्षकार इसमें अपील भी नहीं करते।




हाईकोर्ट की मानेटरिंग कमेटी : हाईकोर्ट में 12 जनवरी 2008 को मध्यस्थता केंद्र की स्थापना के साथ ही वर्तमान चीफ जस्टिस राजीव गुप्ता के निर्देश पर इस केंद्र की मानिटरिंग के लिए कमेटी भी गठित की गई है। इसके अध्यक्ष जस्टिस धीरेंद्र मिश्रा व सदस्य जस्टिस टीपी शर्मा व जस्टिर आरएन चंद्राकर हैं। इस कमेटी के निर्देश पर राज्य में दो बार 40-40 घंटे का मध्यस्थता प्रशिक्षण आयोजित किया जा चुका है। पहला प्रशिक्षण कार्यक्रम रायपुर व दुर्ग में 19 से 21 सितंबर व 14 से 16 नवंबर 2009 में आयोजित किया गया। इसका उद्घाटन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सी जोसेफ ने किया था। मध्यस्थता की बारीकियों से परिचित कराने के लिए 40 घंटे का द्वितीय प्रशिक्षण रायपुर में ही 11 से 13 सितंबर और व अक्टूबर 2010 को आयोजित किया गया। दोनों शिविरों में अब तक राज्य में 46 वकीलों व 20 न्यायिक अधिकारियों को मध्यस्थता प्रशिक्षण दिया जा चुका है।




तीसरा प्रशिक्षण कार्यक्रम 19 से : हाईकोर्ट मीडिएशन सेंटर की मानिटरिंग कमेटी द्वारा तीसरा मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम विधिक सेवा केंद्र के न्याय सदन में 19 फरवरी और 12 व 13 मार्च को आयोजित किया जाएगा। इसमें हाईकोर्ट के साथ ही जगदलपुर, दंतेवाड़ा, धमतरी, कांकेर, महासमुंद, कोरिया, रायगढ़, जांजगीर-चांपा और राजनांदगांव से 30 वकील शामिल होंगे। इसमें प्रशिक्षक के तौर पर दिल्ली उच्च न्यायिक सेवा के सदस्य व मास्टर ट्रेनर डा. सुधीर जैन, दिल्ली हाईकोर्ट के वकील संजय कुमार व श्रीमती नगीना जैन उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हाईकोर्ट के जस्टिस धीरेंद्र मिश्रा, अध्यक्ष जस्टिस सुनील कुमार सिन्हा व विशिष्ट अतिथि के तौर पर जस्टिस आरएन चंद्राकर उपस्थित रहेंगे।

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