Sep 1, 2010

सुप्रीमकोर्ट ने की राज्य सरकार की खिंचाई कहा-नक्सली हिंसा पर राज्य का ढुलमुल जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में नक्सलियों का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा बल की तर्ज पर "सलवा जुडूम" अभियान के तहत ग्रामीणों को हथियारों से लैस करने, आदिवासियों के पुनर्वास और स्कूलों तथा आश्रमों से सुरक्षा बलों को हटाने के सवालों पर रमन सिंह सरकार की चुप्पी पर अप्रसन्नता व्यक्त की है।

न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी और न्यायमूर्ति सुरिन्दर सिंह निज्जर की खंडपीठ ने मंगलवार को राज्य सरकार के हलफनामे के अवलोकन के बाद टिप्पणी की कि नक्सली हिंसा पर काबू पाने के उपायों के बारे में उसका जवाब ढुलमुल है। राज्य सरकार ने यह भी नहीं बताया है कि अब तक कितने स्कूलों और आश्रमों को सुरक्षा बलों ने खाली किए हैं। न्यायाधीशों का कहना था कि ऐसा लगता है कि सरकार अधिक जानकारी मुहैया कराने की बजाए बहुत कुछ छिपाना चाहती है। न्यायालय ने ११ अगस्त को नक्सली हिंसा से प्रभावित आदिवासियों के पुनर्वास से जुड़े विभिन्न बिन्दुओं पर राज्य सरकार से सफाई माँगी थी। न्यायाधीशों की मनःसिथति भांपते हुए राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता डा मनीष सिंघवी ने कहा कि बेहतर हलफनामा दाखिल करने के लिए उन्हें कुछ वक्त दिया जाए। न्यायालय ने यह आग्रह स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को अधिक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए छह सप्ताह का वक्त दे दिया। नए हलफनामे में राज्य सरकार को सलवा जुडूम के खिलाफ मानवाधिकारों के हनन के आरोपों में दर्ज मामलों का विवरण देने के साथ ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट पर की गई कार्रवाई का भी ब्यौरा देना होगा। 

छग सरकार यह दावा कर रही है कि राज्य के नक्सली हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में नक्सलियों को लेकर जबर्दस्त मनोवैज्ञानिक लड़ाई चल रही है और ऐसी स्थिति में नक्सलियों से सहानुभूति रखने वाले चाहते हैं कि सुरक्षा बल अपने शिविर बंद करें ताकि एक बार फिर नक्सली निर्दोष आदिवासियों को अपना निशाना बना सकें। न्यायाधीशों का कड़ा रुख देख सालीसिटर जनरल गोपाल सुब्रमणियम ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि इस समस्या पर राज्य सरकार के वकीलों और अधिकारियों के साथ चर्चा करके बेहतर हलफनामा दाखिल किया जाएगा। आदिवासी महिलाओं के सशक्तीकरण, बच्चों की शिक्षा और बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए योजना आयोग की दस योजनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि नक्सली हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में आदिवासियों के पुनर्वास के बारे में राज्य सरकार के सहयोग से केन्द्र सरकार ने कई कदम उठाये हैं। क्षेत्र के प्रभावित परिवारों के लिए शिविर लगाए गए हैं और स्कूल तथा आश्रमों से सुरक्षा बल को हटाया जा रहा है। 

सालीसिटर जनरल का कहना था कि आदिवासी इलाकों में बड़े पैमाने पर जगह जगह बारूदी सुरंगें बिछी होने के कारण कठिनाई आ रही है लेकिन इसके बावजूद आदिवासियों को उनके घर लौटाने के लिए उपयुक्त माहौल तैयार करने और उनकी जमीन उन्हें लौटाने के प्रयास किये जा रहे हैं। सलवा जुडूम कार्यकर्ताओं और सुरक्षा बलों की ज्यादतियों को लेकर मानवाधिकार कार्यकर्ता नंदिनी सुंदर, कर्तम जोगा और हिमांशु कुमार की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने मानवाधिकार आयोग से सारे मामले की तफतीश करके रिपोर्ट देने का आग्रह किया था। आयोग ने २५ अगस्त, २००८ को पेश रिपोर्ट में सलवा जुडूम के खिलाफ आरोपों को पूरी तरह सही नहीं पाया था ।

आरंभ में पढ़ें : - कहानी 1, 2

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