छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं को प्रलोभन दिए जाने पर भाजपा-कांग्रेस का पंजीयन रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर प्रदेश कांग्रेस ने बुधवार को अपना जवाब पेश किया। वहीं भाजपा ने जवाब देने के लिए समय मांगा। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए १६ सितंबर की तिथि तय की है।
विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस दोनों ही दलों ने अपने-अपने घोषणा पत्र में गरीबों का शुभचिंतक होने का दावा करते हुए उन्हें दो रुपए, १ रुपए किलो में चावल देने, मुफ्त नमक, उपचार के लिए राशि और सरकारी जमीन में मकान बनाने सहित कई प्रकार का लालच दिया। इसके अलावा अखबारों में भी इस आशय के विज्ञापन प्रकाशित कराए गए। वरिष्ठ अधिवक्ता बीजी तामस्कर ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर इस प्रकार के प्रलोभन को आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन बताया है। उन्होंने भारत निर्वाचन आयोग से दोनों ही दलों का पंजीयन रद्द करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि गरीब मतदाताओं को मतदान प्रक्रिया से अलग करने के बाद यह पता चल जाएगा कि राजनीतिक पार्टी इनकी कितनी शुभचिंतक है। इस याचिका पर हाईकोर्ट ने भाजपा व कांग्रेस दोनों दलों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। सुनवाई के लिए ११ अगस्त की तिथि तय की गई थी। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने बुधवार को हाईकोर्ट में अपना जवाब प्रस्तुत किया। वहीं भाजपा ने जवाब देने के लिए कोर्ट से समय देने की मांग की। इस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए १६ सितंबर की तिथि तय की है।
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लेह अब यादें ही शेष हैं