बिलासपुर हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी जांजगीर-चांपा डीईओ ने सहायक शिक्षक के प्रकरण को निराकृत नहीं किया। कोर्ट ने उसे अवमानना मानते हुए जांजगीर-चांपा डीईओ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जांजगीर निवासी शंकरलाल कुर्रे की वर्ष १९८२ में सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति हुई थी। कुछ समय तक काम लेने के बाद उसे सेवा से अलग कर दिया गया। १९९८ में सेवा से पृथक हुए कई शिक्षकों की पुनः नियुक्तियां की गईं, लेकिन शंकरलाल कुर्रे इससे वंचित हो गया। उसने फिर से नियुक्ति पाने के लिए आवेदन दिया, लेकिन उसके आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस पर उसने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका लगाई। हाईकोर्ट ने २००६ में याचिका को निराकृत करते हुए जांजगीर-चांपा डीईओ को याचिकाकर्ता के प्रकरण पर निर्णय लेकर कार्रवाई करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी उसके आवेदन पर ४ वर्ष तक कोई निर्णय नहीं लिया गया। इस पर उन्होंने अधिवक्ता अनुपम दुबे के माध्यम से हाईकोर्ट में डीईओ के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सुनील सिन्हा ने जांजगीर-चांपा डीईओ एके भार्गव को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
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एक थी नारायणी कहानी संग्रह
लेह अब यादें ही शेष हैं