पति को जलाकर मारने वाली हत्यारिन की उम्रकैद की सजा को बिलासपुर हाईकोर्ट ने यथावत रखने का आदेश दिया है।
दुर्ग जिले के ग्राम फुलगांव निवासी सावित्री बाई ने वहीं रहने वाले धु्रव कुमार केंवट से १९९८ में प्रेम विवाह किया था। पति होटल में काम करता था। वह भी कभी-कभी मजदूरी करने जाती थी। आर्थिक तंगी के कारण दोनों के बीच आए दिन विवाद होता था। २२ जून १९९९ की शाम ६.३० बजे ध्रुव कुमार काम से वापस घर लौटा। उसने पत्नी से खाना मांगा। खाना देने से मना करने पर खुद निकालने लगा। इसी बीच सावित्री बाई ने पास ही जेरीकेन में रखा मिट्टीतेल उसके ऊपर उड़ेलकर आग लगा दी। आग लगने पर धु्रव कुमार शोर मचाते हुए बाहर आया। आग लगाने के बाद सावित्री फरार हो गई। आसपास के लोगों ने धु्रव को अस्पताल में भर्ती कराया। उसके बयान के आधार पर पुलिस ने सावित्री के खिलाफ भादवि की धारा ३०७ के तहत जुर्म दर्ज किया। उपचार के दौरान २७ जून को ध्रुव की मौत हो गई। इसके बाद पुलिस ने धारा ३०२ के तहत प्रकरण दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया। दुर्ग के पंचम अपर सत्र न्यायाधीश ने ३० अगस्त २००२ को उसे पति की हत्या करने के आरोप में उम्रकैद व ५०० रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई। इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने अपील को खारिज कर सत्र न्यायालय के आदेश को यथावत रखा है।