May 5, 2010

फर्जी जाति प्रमाणपत्र का मामला : हाईकोर्ट ने जाति छानबीन समिति से मांगा जवाब

रायपुर के रविशंकर विश्वविद्यालय का प्रकरण
रीडर को पद से हटाने पर रोक

फर्जी जाति प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने के मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने रीडर को पद से हटाने संबंधी कार्रवाई पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने जाति छानबीन समिति से जवाब मांगा है।

रायपुर स्थित रविशंकर विश्वविद्यालय में वर्ष २००३ में डॉ.मनीष राय की नियुक्ति रीडर के पद पर हुई। कुछ दिनों बाद उनके द्वारा प्रस्तुत जाति प्रमाणपत्र के फर्जी होने की शिकायत मिली। विश्वविद्यालय प्रशासन ने शिकायत को उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति को प्रेषित कर दिया। समिति ने डॉ.राय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। उन्होंने अपने पिता व दादा के स्कूल में जमा किए गए जाति प्रमाणपत्र सहित अन्य दस्तावेज समिति के समक्ष प्रस्तुत किए। समिति ने उनके प्रमाणपत्र की जांच की। जांच रिपोर्ट में प्रमाणपत्र को फर्जी करार देते हुए उन्हें एसटी वर्ग से नहीं होने की बात कही गई। १४ फरवरी २००९, १२ फरवरी २०१० एवं २५ मार्च को समिति के समक्ष उपस्थित होकर उन्होंने अपना पक्ष रखा। समिति के समक्ष उन्होंने जांच रिपोर्ट का प्रतिपरीक्षण कराने आवेदन दिया। इस पर बिना विचार किए समिति ने उनके गैर एसटी वर्ग व फर्जी जाति प्रमाणपत्र होने की बात कहते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को नौकरी से निकालने तथा रायपुर व बिलासपुर एसपी को पत्र लिखकर जुर्म दर्ज करने की अनुशंसा की। 

उन्होंने समिति की कार्रवाई को अधिवक्ता सुनील ओटवानी के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के उपरांत जाति छानबीन समिति से जवाब मांगा है। याचिका पर सोमवार को पुनः सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने अगामी आदेश तक उन्हें नौकरी से निकालने से संबंधित कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

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