Apr 4, 2010

महाधिवक्ता कार्यालय में पदस्थ शासकीय वकील आलोक बख्शी ने सौंपा इस्तीफा

बिलासपुर हाई कोर्ट महाधिवक्ता कार्यालय में पदस्थ शासकीय वकील आलोक बख्शी ने पिछले गुरूवार को अचानक इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने स्वास्थ्यगत कारणों से काम करने में दिक्कत होने का हवाला दिया है। राज्य शासन द्वारा हाईकोर्ट में लंबित मामलों की सुनवाई के लिए महाधिवक्ता कार्यालय में सरकारी वकीलों की नियुक्ति की जाती है। राज्य शासन के विधि विधायी विभाग ने २००८ में शासकीय वकील के रूप में श्री बख्शी को जिम्मेदारी सौंपी थी। इस बीच वे लगातार काम करते रहे। पूर्व महाधिवक्ता प्रशांत मिश्रा के कार्यकाल में उनकी नियुक्ति हुई थी। पिछले दिनों श्री मिश्रा की नियुक्ति हाईकोर्ट जज के पद पर हो गई। इसके बाद महाधिवक्ता की जिम्मेदारी देवराज सिंह सुराना को मिली। अभी उनको काम करते हुए महज कुछ माह ही हुए हैं कि श्री बख्शी ने अचानक इस्तीफा दे दिया है। हालांकि श्री बख्शी ने स्वास्थ्यगत कारणों का उल्लेख करते हुए पद छोड़ा है।

उनका कहना है कि शरीर के मोटापे के कारण बार-बार सीढ़ियां चढ़ने-उतरने में परेशानी होती है। वहीं, शासकीय वकीलों का कहना है कि कार्यालय में बड़े विधि अफसरों का वेतन बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया है, जबकि शासकीय वकीलों का वेतन कम करने का प्रस्ताव रखा गया था। इससे शासकीय वकीलों में नाराजगी है। यही वजह है कि श्री बख्शी ने भी काम करने से इनकार कर दिया है। मालूम हो कि इससे पहले शासकीय वकील के रूप में नियुक्त स्व. उत्कर्ष वर्मा ने इस्तीफा दिया था। उन्होंने शासकीय वकील बनने के कारण निजी मामले प्रभावित होने के कारण पद छोड़ा था।

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