Apr 3, 2010

शिक्षाकर्मी को हटाने का आदेश निरस्त

बिलासपुर हाईकोर्ट ने जनपद पंचायत बसना के शिक्षाकर्मी को पद से हटाने के आदेश को निरस्त कर दिया है। छत्‍तीसगढ़ के महासमुंद जिले की जनपद पंचायत बसना में शिक्षाकर्मी वर्ग-तीन के 89 पदों पर भर्ती के लिए 20 फरवरी 2007 को विज्ञापन जारी किया गया था। चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद जनपद पंचायत ने सामान्य सभा की बैठक में अनुमोदन कर 81 आवेदकों की चयन सूची जारी की और नियुक्ति आदेश दिया। इसमें 38 शिक्षाकर्मियों ने ज्वाइन किया, जबकि 43 पद रिक्त रह गए। इसी चयन प्रक्रिया के आधार पर 12 अक्टूबर 2007 को 43 आवेदकों की नए सिरे से चयन सूची जारी की गई, जिसमें 10 शिक्षाकर्मियों ने कार्यभार ग्रहण किया। 

जनपद पंचायत ने 6 नवंबर 2007 को तीसरी बार 115 पदों पर नियुक्ति के लिए आदेश जारी कर दिया। इन नियुक्तियों में अनियमितता का आरोप लगाते हुए कलेक्टर से शिकायत की गई। भर्ती को अवैधानिक बताते हुए जांच की मांग भी की गई। इसके बाद कलेक्टर ने पहली चयन सूची के 19 शिक्षाकर्मियों सहित शेष सभी का नियुक्ति आदेश निरस्त कर दिया। इस आदेश के खिलाफ भीष्मदेव होता ने पंचायत संचालक के समक्ष अपील की, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद भीष्मदेव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें कलेक्टर के आदेश को अवैधानिक बताते हुए कहा गया कि याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर दिए बगैर ही नियुक्ति आदेश जारी कर दिया गया है। 

याचिकाकर्ता ने अपनी नियुक्ति को वैध बताते हुए कई दस्तावेज भी प्रस्तुत किए। प्रकरण की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य शासन व जनपद पंचायत बसना के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि उन्हें दूसरी व तीसरी सूची से कोई लेना देना नहीं है। याचिकाकर्ता की नियुक्ति पहली सूची में वैधानिक तरीके से की गई थी। जस्टिस सतीश कुमार अग्निहोत्री ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता के तर्कों पर सहमति जताते हुए कलेक्टर व पंचायत विभाग के संचालक के आदेश को निरस्त कर दिया है।

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