Apr 3, 2010

12 साल बाद मिली दोबारा नौकरी

अनुकंपा नियुक्ति खत्म करने के आदेश को निरस्त करते हुए छत्‍तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दोबारा नौकरी में वापस लेने का आदेश किया है। विभाग ने नियम विरुद्ध नियुक्ति के आधार पर सेवा समाप्त करने का आदेश जारी किया था।

पत्थलगांव ब्लाक के ग्राम झांप निवासी चैतराम को उसके चाचा की मृत्यु के बाद 22 जुलाई 1995 को अनुकंपा नियुक्ति दी गई थी। यह नियुक्ति राज्य शासन द्वारा जारी उस परिपत्र के आधार पर की गई थी, जिसमें मृत सरकारी सेवक की विधवा की देखभाल के लिए अगर कोई वयस्क पुत्र या पुत्री न हो और खुद सरकारी सेवा के योग्य न हो तो वह किसी रिश्तेदार को नियुक्ति के लिए नामित कर सकती है।

चैतराम को अनुकंपा नियुक्ति उसकी चाची की सहमति पर ही मिली थी। नियुक्ति के तीन साल बाद 28 जुलाई 1998 को उसकी सेवा इस आधार पर खत्म कर दी गई कि यह राज्य शासन के 1996 में जारी परिपत्र के अनुसार नहीं है। इसके खिलाफ चैतराम ने वकील अनुपम दुबे के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उसकी नियुक्ति शासन द्वारा तय नियमों के अनुसार ही की गई थी।

अगर कोई परिपत्र बाद में जारी होता है तो वह इस पर लागू नहीं होगा, इसलिए उसकी सेवा समाप्ति का आदेश अवैध है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के तर्को से सहमत होकर सेवा बहाली का आदेश देते हुए याचिकाकर्ता को बकाया वेतन आदि का भुगतान करने का आदेश दिया।

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