सर्वोच्च न्यायालय में कल छत्तीसगढ क़े पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जाति के मामले की सुनवाई पूरी हो गई। न्यायमूर्ति रवींद्रन व न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की दो सदस्यीय खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुए फैसले को सुरक्षित रखा है। उल्लेखनीय है कि जोगी के अनुसूचित जनजाति वर्ग से होने को दावे को सर्वोच्च न्यायालय में संत कुमार नेताम ने चुनौती देते हुए एक यायिका दायर की थी।
न्यायालय में आज इस मामले की सुनवाई के दौरान नेताम की ओर राजीव धवन व अशोक माथुर ने, जोगी की ओर से केके वेणुगोपाल ने व छत्तीसगढ सरकार की ओर से युगलकिशोर गिल्डा व अनिरुद्ध भाई ने सुनवाई में भाग लिया। मामले की सुनवाई के दौरान जोगी की ओर से पक्ष रखते हुए वेणुगोपाल ने कहा कि अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा किसी व्यक्ति विशेष की जाति की जांच करने का अधिकार नहीं है। वहीं, नेताम की ओर से धवन व माथुर ने अनुसूचित जनजाति आयोग की तुलना मानवाधिकार आयोग से करते हुए कहा कि उसकी तरह ही किसी व्यक्ति विशेष की मामलों की जांच का हक इसे प्राप्त होना चाहिए। उन्होंने दलील दी कि अगर अनुसूचित जनजाति आयोग को यह हक नहीं मिलेगा तो इसके द्वारा इस वर्ग के अधिकारों के संरक्षण के औचित्य ही पूरा नहीं हो सकेगा। मालूम हो कि अजीत जोगी के अनुसूचित जनजाति वर्ग से होने के दावे को संत कुमार नेताम ने सबसे पहले अनुसूचित जनजाति आयोग में ही चुनौती दी थी, जिसके बाद आयोग ने राज्य सरकार को जांच के आदेश दिए थे। बाद में छत्तीसगढ उच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि अनुसूचित जनजाति आयोग को इस तरह की जांच कराने का अधिकार नहीं है। इसके बाद नेताम ने उच्च न्यायालय के इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।