पिछले हफ्ते रिलीज हुई ‘बाबर' फिल्म में मुसलमानों का कथित तौर पर ‘नकारात्मक चित्रण' किये जाने को लेकर इस फिल्म पर रोक लगाने के लिये आज बंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गयी। इस फिल्म के खिलाफ जनहित याचिका दायर करने वाले मुंबई के व्यवसायी अमर हुसैन मुकेरी ने सेंसर बोर्ड से इसे मिले अनुमोदन पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि इस फिल्म के कुछ पात्र और घटनायें वास्तविक जीवन के मुलायम सिंह यादव और मायावती जैसी शख्सियतों से स्पष्ट रूप से मेल खाते हैं। इस फिल्म का प्रसारण लोगों में सौहार्द को बिगाड़ेगा।
आशु त्रिखा द्वारा निर्देशित फिल्म ‘बाबर’ के खिलाफ अदालत में मुंबई के अनवर हुसैन मुकेरी ने याचिका दायर की है। ‘बाबर’ की कहानी है एक 12 साल के बच्चे की, जिसने इस छोटी सी आयु में एक खून कर दिया और फिर अपराध के इस सफर पर चलते हुए वो उत्तर प्रदेश का माफिया बन गया। अनवर हुसैन मुकेरी ने फिल्म के निर्माता, निर्देशक, सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ फिल्म सर्टिफिकेशन, भारत सरकार व महाराष्ट्र राज्य को कठघरे में खडा किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि ''बाबर'' ऐसी फिल्म है जिसमें निर्माता ने मुस्लिम समाज का गलत चित्रण किया है। मुस्लिम परिवार, जिसमें बच्चे भी शामिल हैं को अपराध में लिप्त दिखाया है। उन्हें इस बात पर भी आपत्ति है कि फिल्म में पूरा मुसलमान मोहल्ला हिंसा व अपराध करता है, इसके अलावा कुछ नहीं करता। यह समाज अपने बच्चे को शिक्षा नहीं देता, बस अपराध करने के लिए प्रोत्साहित करता है। उन्हें आश्चर्य है कि कैसे निर्माता, निर्देशक ऐसी फिल्म बना सकते हैं और कैसे सेंसर बोर्ड ने इस सर्टिफिकेट दे दिया, जिसमें एक बच्चे को अपराध करता दिखाया है।
इस फिल्म का निर्माण ऋद्धि सिद्धि फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड ने किया है। इसमें ओमपुरी और मिथुन चक्रवर्ती ने भूमिका निभाई है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन को इसे ‘ए' प्रमाणपत्र के साथ भी लोगों को देखने के लिये अनुमोदित नहीं करना चाहिये था। उन्होंने फिल्म में मुसलमानों को ‘हिंसक' और ‘समाज विरोधी' चित्रित करने को लेकर आपत्ति जताई है। याचिकाकर्ता ने इस फिल्म पर तुरंत रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि इस फिल्म ने उनकी धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाया है और अन्य मुसलमान भी इसे लेकर ऐसा ही महसूस कर सकते हैं। इस याचिका पर सुनवाई की तिथि आज 17 सितंबर को नियत है।