
न्याय सदन की उपयोगिता तभी है जब वह इन लक्ष्यों की प्राप्ति में सहयोगी हो। जस्टिस मिश्रा ने बताया कि यह छत्तीसगढ़ राज्य का तीसरा न्याय सदन है। प्रथम न्याय सदन दंतेवाड़ा और दूसरा राजनांदगांव जिले में स्थापित किया जा चुका है। राज्य के अन्य जिलों में भी न्याय सदन निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हाईकोर्ट के जज जस्टिस सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि कोई भी भवन कितना भी सुसज्जित हो जाए उससे तब तक लाभ नहीं मिलता, जब तक वह अपने उद्देश्यों को प्राप्त न करे। उन्होंने न्याय सदन की तुलना एक मंदिर से की। जिस तरह भगवान की प्राण-प्रतिष्ठा के बिना मंदिर का कोई महत्व नहीं होता, उसी तरह न्याय के मंदिर में न्याय नहीं मिले तो उसका कोई अर्थ नहीं है।
जस्टिस मिश्रा ने विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यो पर प्रकाश डालते हुए बताया कि विधिक निरक्षता को दूर करने के लिए विधिक जागरूकता अभियान चलाने व आम आदमी के हितों के लिये बनाए गए विधिक नियमों की जानकारी देने, पक्षकारों में समझौते कराने के लिए जागरूकता पैदा करने का कार्य किया जाता है। कई कार्य प्राधिकरण के जिम्मे हैं, जिनमें विधिक साक्षरता अभियान बड़े पैमाने पर संपूर्ण राज्य में जारी है। जज, वकील स्वयंसेवी संगठनों के सहयोग से गांवों में विधिक जागरूकता लाने का काम कर रहे हैं!
कार्यक्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की अध्यक्ष तथा जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमती अनिता झा ने कहा कि न्याय सदन अशिक्षा और शोषण के खिलाफ अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाएगा। स्वागत भाषण देते हुए प्राधिकरण के सदस्य सचिव गौतम चौरड़िया ने न्याय सदन के उद्देश्य की प्राप्ति के लिये सभी के सहयोग की अपेक्षा की। कार्यRम में हाईकोर्ट के जज जस्टिस सतीश के. अग्निहोत्री, टी.पी. शर्मा, नवलकिशोर अग्रवाल,आर.एल. चन्द्राकर, आर.एल. झंवर, प्रीतिंकर दिवाकर, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल अरविन्द श्रीवास्तव, न्यायिक अधिकारी प्रशिक्षण केन्द्र के डायरेक्टर जी. मिन्हाजुद्दीन, कुटुम्ब न्यायालय की न्यायाधीश श्रीमती अनुराधा खरे, असिस्टेंट सॉलीसिटर जनरल फौजिया मिर्जा, एडिशनल कलेक्टर धनंजय देवांगन व टीके वर्मा उपस्थित थे।
फोटो - छत्तीसगढ न्यूज अपडेट से