
ग्रामीण विकास मंत्री नें पिछले दिनों एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए योजना का विस्तृत ब्यौरा देते हुए बताया था कि सरकार ने पहले से चल रही दो परियोजनाओं-कंप्यूटराइजेशन आफ लैंड रिकार्ड्स (सीएलआर) और रेवेन्यू एडमिनिस्ट्रेशन एंड अपडेटिंग आफ लैंड रिकार्ड्स को जोड़ दिया है। यह संयुक्त परियोजना नेशनल लैंड रिकार्ड्स माडर्नाइजेशन प्रोग्राम (एनएलआरएमपी) के नाम से जानी जाती है। इसमें भू-दस्तावेजों के तीन स्तरीय आंकड़े तैयार किए जाएंगे। एक-एक गांव को इकाई मानकर अंतरिक्ष से तैयार उच्च स्तरीय कैमरों के माध्यम से डिजिटल नक्शे, वन विभाग व भारतीय सर्वेक्षण विभाग के नक्शे और राजस्व विभाग के आंकड़ों पर आधारित अलग-अलग नक्शे बनाए जाएंगे। इससे जमीन की माप में किसी गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं रह जाएगी। (गूगल मैप व सेटेलाईट व्यू की भांति भारतीय 'भुवन' )
परियोजना के बजट के संबंध में में उन्होंने कहा कि दस्तावेजों के कंप्यूटरीकरण में राज्य सरकारों की भूमिका सर्वाधिक होगी। पंचायत और राजस्व विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों को सूचना प्रौद्योगिकी से लैस करने के लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस पूरी योजना पर 5 हजार 656 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है। इसमें केंद्र का हिस्सा 3 हजार 98 करोड़ रुपये होगा। बाकी खर्च राज्यों को वहन करना होगा। योजना पर अमल के लिए क्षेत्रीय तकनीकी सलाहकार समूह का गठन किया जाएगा, जो जिला स्तर पर समुचित सलाह देगा। रजिस्ट्रेशन एक्ट के प्रावधानों में पर्याप्त संशोधन किया जाएगा व इस संबंध में तकनीकि विकसित किये जावेंगें । इससे अनुबंध पत्र और दस्तावेजों का प्रभाव डिजिटल मनी ट्रांसफर की भांति तत्काल किये जा सकेंगें व रकबे आदि के विवाद एवं एक सम्पत्ति को कई लोगों को बेंच दिये जाने के फर्जीवाडे पर तत्काल अंकुश लग सकेगा ।