सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार को राज्य में राज ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, मनसे द्वारा उत्तर भारतीयों और गैर-मराठियों के खिलाफ चलाए गए हिंसक अभियान को रोकने के लिए कारगर कदम उठाने में कथित तौर पर असफल रहने के लिए नोटिस जारी किया ।
परंतु सर्वोच्च न्यायालय ने बिहारी युवक राहुल राज, जो विवादास्पद पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था और उत्तर प्रदेश के एक व्यक्ति की पिछले महीने मुंबई की रेल में हुई हत्या की न्यायिक जांच कराने की अपील ठुकरा दी ।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश के.जी बालाकृष्णन की अध्यक्षता में न्यायिक पीठ ने जारी किये, जो महाराष्ट्र में मनसे द्वारा हाल में कथित तौर पर की गई हिंसा और बिहार तथा झारखंड जैसे अन्य राज्यों में इसके बाद हुई प्रतिक्रियाओं और प्रदर्शनों से संबंधित दो अलग-अलग जनहित याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी ।
वकील सुग्रीव दुबे ने आरोप लगाया था कि हाल ही में जब श्री राज ठाकरे द्वारा भड़काए जाने पर भीड़ ने दो उत्तर भारतीय डॉक्टर भाइयों- 35-वर्षीय अजय और 33-वर्षीय विजय दुबे की हत्या की थी, तो राज्य पुलिस मूक दर्शक बनी रही थी । अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से इस आरोप का जवाब देने के लिए कहा है ।
श्री दुबे, जो दिल्ली स्थित व्यापारी सलेक चंद जैन की ओर से पैरवी कर रहे थे, ने कहा कि मनसे द्वारा उत्तर भारतीयों पर किये गए कथित हमलों के कारण देश में अन्यत्र उससे संबंधित प्रतिक्रियाएं हुई हैं, जिनसे राष्ट्र की एकता और अखंडता के नष्ट होने का खतरा है ।
वकील ने यह भी कहा कि राज्य में संवैधानिक संकट है और केंद्र भी मूक दर्शक बना रहा तथा उसने राज्य के अधिकारियों को आवश्यक निर्देश देने के लिए संविधान की धारा-355 के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग नहीं किया, लेकिन पीठ ने गृह मंत्रालय के खिलाफ कोई निर्देश जारी नहीं किया ।
उधर महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री आर.आर पाटिल ने सोमवार को मुंबई में कहा कि महाराष्ट्र सरकार इस बारे में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी नोटिस का जवाब देगी । उन्होंने कहा कि हम विस्तृत जवाब देंगे और अपनी स्थिति का खुलासा करेंगे ।
श्री पाटिल, जो गृह मंत्रालय भी देखते हैं, ने पत्रकारों को बताया कि कानून एवं न्याय विभाग को इस मुद्दे पर विवरण तैयार करने के लिए कहा जाएगा ।