दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम के मामले में तीन साल लंबी जांच के बाद फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया। कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के प्रमुख सचिव और विशेष सचिव की पड़ताल में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डा. पीके सिंह और मेरठ और फैजाबाद के कुलपति को भी दोषी पाया गया है। वर्तमान कुलपति प्रो. वीके सूरी ने नवाबगंज थाना में इनके खिलाफ भ्रष्टाचार व धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई है। विशेष सचिव ने रिपोर्ट दर्ज होने के बाद तीन दिन में कार्रवाई से अवगत कराने के निर्देश दिए हैं।
दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम के तहत वर्ष 2003 से 2007 तक प्रदेश और देश के विभिन्न राज्यों में स्टडी सेंटर खोलकर विभिन्न पाठ्यक्रमों का संचालन किया गया था। कानपुर, मेरठ और फैजाबाद विश्वविद्यालय ने उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में स्टडी सेंटर खोलकर लाखों छात्र-छात्राओं ने डिग्री-डिप्लोमा दिए। बाद में इन डिग्री-डिप्लोमा की विधिक मान्यता खतरे में पड़ने से छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में लटक गया। शासन स्तर पर इस प्रकरण की जांच के आदेश के बाद कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव जी. पटनायक ने पड़ताल शुरू की जिसमें चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डा. पीके सिंह के खिलाफ लगाए गए आरोप सही पाए गए।
बताते हैं कि दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम के संचालन के लिए न तो सक्षम अधिकारी की अनुमति ली गई और न ही उत्तर प्रदेश कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय अधिनियम 1958 में संशोधन किया गया। यही नहीं, कृषि विश्वविद्यालय के उक्त कार्यक्रमों के संचालन से पहले भारत सरकार द्वारा गठित दूरस्थ शिक्षा परिषद से अनुमति भी नहीं ली गई, जिसका परिणाम छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ा। बताते हैं कि स्टडी सेंटरों पर शिक्षण कार्य होने और छात्रों को दी जाने वाली सुविधा की छानबीन तक नहीं हुई। दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम के जरिए होने वाली आय का 75 प्रतिशत भुगतान स्टडी सेंटर के संचालकों को कर दिया गया। पटनायक की जांच के बाद कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के तत्कालीन विशेष सचिव पीके अग्रवाल ने भी इस प्रकरण की जांच की।
उन्होंने कानपुर के कुलपति डा.पीके सिंह, मेरठ के कुलपति डा. पीपी सिंह और फैजाबाद के कुलपति डा. बीबी सिंह के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने का निर्णय लिया था। हाल ही में विशेष सचिव धीरज साहू ने वर्तमान कुलपति प्रो. वीके सूरी को मुकदमे का आदेश दिया। उन्होंने तीन दिन के भीतर कार्रवाई से अवगत कराने के निर्देश दिए हैं।
साभार
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