देश का कानून जेलों में बंद कैदियों को वोट देने के लायक नहीं समझता। हालांकि उन्हें चुनाव लड़ने का अधिकार देता है। यही वजह है कि अब तक कई कैदी लोकसभा और विधानसभाओं में पहुंच चुके हैं। अब मध्यप्रदेश जेल मुख्यालय ने इस संबंध में संविधान संशोधन का प्रस्ताव संसद को भेजा है। संविधान संशोधन का अधिकार संसद के पास है।
मध्य प्रदेश के पुलिस उप महानिरीक्षक [विधि जेल] आरएस विजयवर्गीय ने बताया कि भारतीय संविधान में विचाराधीन कैदियों को वोट डालने का हक नहीं दिया गया है। हालांकि वे कैदी जिन्हें तीन साल से अधिक की सजा हुई है, चुनाव नहीं लड़ सकते। उन्होंने बताया कि कैदियों को वोट देने का अधिकार दिलाने के लिए जेल मुख्यालय ने संविधान संशोधन का प्रस्ताव संसद को भेजा है। उन्होंने बताया कि घर से दूर रहने वाला एक आम मतदाता भी पूर्व अनुमति लेकर डाक से वोट दे सकता है।
सूत्रों के अनुसार इस समय मध्यप्रदेश की जेलों में 35 हजार से अधिक विचाराधीन कैदी हैं। हर बार की तरह इस बार भी ये कैदी दो महीने बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव में वोट नहीं डाल पाएंगे। चुनाव तक कैदियों की संख्या एक लाख पहुंच जाएगी। क्योंकि चुनाव के समय शांति व्यवस्था के नाम पर कथित असामाजिक तत्वों को ढूंढ़-ढूंढ़कर जेल पहुंचा दिया जाता है। जेल में रहकर चुनाव जीतने के बाद यदि इन्हें जेल में ही रहना पड़े तब भी सरकार के संकट के समय सदन में जाकर वोट दे सकते हैं। पिछले दिनों मनमोहन सरकार पर आए संकट के समय जेल में बंद लगभग आधा दर्जन सांसदों ने वोट देकर सरकार बचाने में भूमिका निभाई थी।
साभार - दैनिक जागरण
UK: The Supreme Court on the 'creditor duty' - its existence, content and
engagement
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1 year ago