Sep 25, 2008

क्‍या पति के नाम से दूरभाष संयोजन को पत्‍नी के नाम से, बाबत देयकों का संदाय न होने से असंयोजित किया जा सकता है ?

उच्‍चतम न्‍यायालय 
एच.के.सेमा एवं मार्कण्‍डेय काटजू, न्‍यायमूर्तिगण 
सिविल अपील संख्‍या 5354 वर्ष 2002 
21 अप्रैल 2008 को विनिश्चित
सुरजीत सिंह 
बनाम 
महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड 

भारतीय टेलीफोन नियमावली, 1951 - नियम 2 (त त) एवं 443 - दूरभाष - देयकों का असंदाय - असंयोजन - दूरभाष संयोजन अपीलार्थी की पत्‍नी के नाम से - देयकों के संदाय में व्‍यतिक्रम - क्‍या अपीलार्थी के नाम से दर्शित दूरभाष संयोजन को उक्‍त व्‍यतिक्रम के कारण असंयोजित किया जा सकता था ?  - निर्णित - 'हॉं'
नियम 443 के उद्देश्‍यपूर्ण अर्थान्‍वयन को अंगीकार किया जायेगा ।
(संपूर्ण न्‍यायनिर्णय उच्‍चतम न्‍यायालय के वेबसाईट से खोजा जा सकता है)

My Blog List