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Apr 2, 2010

रिकवरी के लिए दूसरे की संपत्ति कुर्क कर ली

वाणिज्यकर विभाग की कुर्की व नीलामी नोटिस के मामले में पिता-पुत्र को बिलासपुर हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर करनी पड़ी। कर अदायगी का दायित्व न बनने के बाद भी विभाग ने 4 करोड़ रुपए से अधिक की रिकवरी के लिए उनकी संपति कुर्क कर नीलामी के लिए नोटिस जारी कर दिया था।

याचिका दायर करने की जानकारी मिलने पर विभाग ने कुर्कशुदा संपति का मुक्ति आदेश जारी कर दिया। प्रकरण के मुताबिक अमरावती निवासी सुरेशचंद्र भूत पिता देवकरण भूत ने महावीर कालोनी निवासी निर्मल मेहता पिता उगमचंद मेहता को मैनेजमेंट व बिजनेस संचालन के लिए पावर आफ एटार्नी दिया था। अतिरिक्त तहसीलदार वाणिज्यकर अधिकारी दुर्ग वृत्त 4 द्वारा 4 करोड़ 30 लाख 42 हजार 72 रुपए की वसूली के लिए निर्मल के पिता उगमचंद की महावीर कालोनी स्थित संपति व उसके भाई मनीष कुमार मेहता की फोर्ड आइकान कार (सीजी 04 ए 0002) को कुर्क कर दिया। फिर नोटिस जारी कर 2 मार्च 2010 को 11 बजे नीलामी करने की सूचना दी। नीलामी की सूचना के बाद उगमचंद व मनीष कुमार ने थाना प्रभारी दुर्ग और वाणिज्यकर विभाग के संभागीय आयुक्त को संपति के मालिकाना हक के संबंध में दस्तावेज दिखाया। दस्तावेज प्रस्तुत करने के बाद भी वाणिज्यकर विभाग कुर्कशुदा संपति को नीलाम करने की बात पर अड़ा रहा। इससे क्षुब्ध होकर उगमचंद व मनीष कुमार ने हाईकोर्ट बिलासपुर में याचिका लगाई। इसमें राज्यस्तर के अधिकारियों को पक्षकार बनाया गया।

हाईकोर्ट में रिटपिटीशन प्रस्तुत करने की भनक मिलने पर वाणिज्यकर विभाग ने दोनों की कुर्कशुदा संपति को मुक्त करने का आदेश जारी कर दिया। आदेश में लिखा गया है कि उपायुक्त वाणिज्यकर संभाग दुर्ग के मौखिक निर्देश पर कुर्कशुदा संपति को मुक्त कर दिया गया है। उगमचंद व मनीष कुमार के अधिवक्ता नीरज चौबे ने जानकारी दी कि कुर्कशुदा संपति की मुक्ति आदेश के बाद रिटपिटीशन वापस ले लिया गया है। चौबे ने बताया कि सुरेशचंद भूत की मौत हो चुकी है।

उनकी मौत के बाद निर्मल मेहता जो कि पूर्व में आममुख्तयार था, वह किसी भी विभाग के कर को चुकाने के दायित्व से भी मुक्त हो गया है। किसी विभाग को कर चुकाने का उनका दायित्व नहीं बनता। फिर भी वाणिज्यकर विभाग ने निर्मल कुमार को परेशान करने की नियत से उनके पिता व भाई की संपति को कुर्क कर लिया था।

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