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Jul 23, 2009

छत्‍तीसगढ उच्‍च न्‍यायालय के वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता श्री कनक तिवारी जी के विचार : विकास की समझ की संवैधानिकता

छत्‍तीसगढ उच्‍च न्‍यायालय के वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता, विचारक, प्रखर वक्‍ता 
श्री कनक तिवारी जी के विचार : विकास की समझ की संवैधानिकता 
पढें और उनके सारगर्भित लेख पर अपने विचार देवें.


लिंक है - विकास की समझ की संवैधानिकता

Sep 26, 2008

जब दोषी यान चालक प्रभावी अनुज्ञप्ति नहीं धारित कर रहा था तो बीमाकर्ता स्‍वामी की प्रतिपूर्ति करने का दायी नहीं

उच्‍चतम न्‍यायालय
एस.बी.सिन्‍हा एवं लोकेश्‍वर सिंह पैण्‍टा, न्‍यायमूर्तिगण
सिविल अपील संख्‍या 3496 वर्ष 2008
दिनांक 12 मई 2008 को विनिश्चित
न्‍यू इंडिया एश्‍योरेंस कं.लि.
बनाम
रोशनबेग रहीमनशा फाकिर एवं एक अन्‍य
भारत का संविधान - अनुच्‍छेद 142 - मोटर यान अधिनियम, 1988 - धारा 2 (47), 10, 14 (2) (क) एवं 41 (4) - मुआवजा - बीमाकर्ता का दायित्‍व - आटोरिक्‍शा डिलवरी वैन का चालक - वैध और प्रभावी चालन अनुज्ञप्ति नहीं रखता हुआ - वाहन वाणिज्यिक यान होते हुए - और परिवहन वाहन माल वहन करती हुई सार्वजनिक वाहन होते हुए - दोषी यान के चालक की अनुज्ञप्ति - परिवहन वाहन से अन्‍यथा वाहन हेतु स्‍वीकृत - यह 20 वर्षों के लिए वैध थी - धारा 142 (क) के अधीन परिवहन वाहन चलाने हेतु अनुज्ञप्ति - तीन वर्षों के लिये प्रभावी होती है - दोषी वाहन का चालक - परिवहन वाहन - चलाने हेतु अनुज्ञप्ति स्‍वीकृत नहीं - बीमाकर्ता दायी नहीं - हालांकि, अनुच्‍छेद 142 के अधीन अपीलार्थी-बीमाकर्ता को अधिनिर्णय का समाधान करने के लिए - और उसे वाहन स्‍वामी से वसूल करने के लिए निर्देश .
प्रथम अपील संख्‍या 3441 वर्ष 2006 में गुजरात उच्‍च न्‍यायालय, अहमदाबाद का निर्णय एवं अधिनिर्णय दिनांक 13.11.2006 को उलट दिया गया .

(संपूर्ण न्‍याय निर्णय देखने के लिए उच्‍चतम न्‍यायालय के वेबसाईट के खोज विकल्‍पों का उपयोग करें)

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