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Apr 19, 2010

डॉक्टर को मारा तो जेल : छत्तीसगढ़ चिकित्सा सेवक तथा चिकित्सा सेवा संस्थान विधेयक 2010

छत्‍तीसगढ़ राज्य में डॉक्टर, नर्स और चिकित्सा सेवा में लगे व्यक्तियों के साथ मारपीट करने वालों पर कानूनी शिकंजा कसेगा। मारपीट करने वाले व्यक्ति को तीन साल तक कारावास की सजा हो जाएगी और 50 हजार रुपए तक अर्थदंड देना होगा। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल ने आज विधानसभा में ‘छत्तीसगढ़ चिकित्सा सेवक तथा चिकित्सा सेवा संस्थान विधेयक 2010’ पेश किया। यह कानून सरकारी और निजी अस्पतालों में आए दिन डॉक्टरों व अन्य लोगों के साथ होने वाली मारपीट की घटना पर रोक लगाने के लिए बनाया गया है। प्रस्तावित कानून में प्रावधान किया गया है कि चिकित्सा सेवा में लगे लोगों के साथ मारपीट करने वाले या संपत्ति का नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

इसमें अपराधी को अधिकतम तीन वर्ष तक कारावास की सजा होगी और उस पर 50 हजार रुपए जुर्माना किया जाएगा। ये जमानतीय और प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में विचारणीय होंगे। जितनी संपत्ति का नुकसान पहुंचाया जाएगा उसका दोगुना भुगतान जुर्माने के रूप में करना होगा। ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए सरकार प्राधिकरण का गठन करेगी।

लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री अमर अग्रवाल ने सदन में विधेयक प्रस्तुत करते हुए बताया कि अक्सर मरीजों के परिजनों द्वारा चिकित्सकों के साथ मारपीट अथवा अस्पतालों की परिसम्पत्तियों की तोड़फोड़ कर दी जाती है, जिससे चिकित्सकों और चिकित्सा संस्थानों में विषम प्ररिस्थिति निर्मित हो जाती है। इस तरह की घटनाओं की रोकथाम के लिए यह विधेयक लाया गया है। इस विधेयक के दायरे में चिकित्सा के सभी विधाओं को शामिल किया गया है। इस अधिनियम की धारा चार के तहत यदि कोई व्यक्ति धारा तीन के उपबंधों का उल्लंघन करते हुए चिकित्सक के साथ मारपीट करता है अथवा हिंसा के लिए प्रेरित करता है तो उसे तीन वर्ष तक का कारावास और पचास हजार तक का जुर्माना वसूल किया जा सकेगा। इस तरह का अपराध जमानतीय होगा और इसकी सुनवाई प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेड के न्यायालय में होगी।

अधिनियम में यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति चिकित्सा संस्थान की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाता है, तो जितनी क्षति हुई है, उससे दोगुनी राशि वसूल की जाएगी। यह वसूली भू-राजस्व बकाया की तरह होगी। अधिनियम में चिकित्सीय उपेक्षा अथवा कुप्रबंधन के पीड़ितों की शिकायतों और जांच तथा उन्हें सहायता देने के लिए एक प्राधिकरण के गठन का भी प्रावधान किया गया है। इसमें चिकित्सा विधि उपभोक्ता मामले और स्वास्थ्य प्रबंधन क्षेत्र के विशेषज्ञों को रखा जाएगा।

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