विशेष न्यायाधीश मंसूर अहमद ने जयचंद वैद्य अपहरण कांड में निर्णय देते हुए आरोपी सांसद रामा किशोर सिंह उर्फ रामा को दोषमुक्त करार दिया है। कोर्ट ने अपने नर्णिय में लिखा है कि आरोपी रामा सिंह के विरूद्ध ऐसा कोई साक्ष्य प्रकरण में उपलब्ध नहीं है। जो उसे अपराध से जोड़ता हो। प्रार्थी जयचंद की कार का उपयोग अभियुक्त रामा सिंह के द्वारा किए जाने के संबंध में किसी भी साक्षी ने कोई कथन नहीं दिया है और न ही प्रार्थी की कार अभियुक्त रामा सिंह के आधिपत्य से जब्त की गई है। जहां तक अभियुक्त रामा सिंह के द्वारा अन्य अभियुक्तों को राजनीतिक संरक्षण दिए जाने का सवाल है तो इस प्रकरण में कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। कोर्ट ने माना कि अभियुक्त रामा सिंह के द्वारा प्रार्थी जयचंद वैद्य के परिवार वालों से फिरौती की राशि प्राप्त की गई हो। इस संबंध में भी कोई साक्ष्य नहीं है। परिणाम स्वरूप साक्ष्य के अभाव में अभियुक्त रामा सिंह को दोष मुक्त किया जाता है। जबकि अभियोजन अभियुक्त अशोक सिंह के विरूद्ध अपना मामला प्रमाणित करने में पूर्णत: सफल रहा है। न्यायालय ने अशोक सिंह को धारा 120 बी में 5 साल, 5 हजार अर्थदंड व अर्थदंड नहीं पटाने पर एक वर्ष अतिरक्ति, 364 ए में आजीवन कारावास, अर्थदंड 10 हजार व अर्थदंड नहीं पटाने पर 1 वर्ष अतिरक्ति कारावास, धारा 344 व 346 में एक-एक वर्ष व 2-2 हजार रूपए अर्थदंड, अर्थदंड नहीं पटाने पर 3-3 माह का अतिरक्ति कारावास एवं 395 में 7 वर्ष व 10 हजार रूपए अर्थदंड, अर्थदंड नहीं पटाने पर एक वर्ष अतिरक्ति कारावास की सजा पारित की है। अभियोजन पक्ष की ओर अपर लोक अभियोजक संतोष शर्मा और बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता शिवशंकर सिंह और विनय दुबे ने पैरवी की। आरोपी सांसद के बरी होने की खबर पाकर बिहार से सैकड़ों समर्थक कोर्ट में एकत्रित थे।
भिलाई के बहुचर्चित जयचंद बैद अपहरण कांड में सबूत नहीं मिलने के कारण कोर्ट ने मामले के मुख्य आरोपी वैशाली के सांसद रामा सिंह को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है, लेकिन इसी मामले में एक अन्य आरोपी अशोक सिंह को आजीवन कारावास और 27 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई गई है। जयचंद ने गवाही के दौरान उसे सेवादार बताया था, लेकिन सांसद को पहचानने से इनकार कर दिया था। 29 मार्च 2001 को कुम्हारी पेट्रोल पंप से शैलेंद्र नगर रायपुर स्थित जयचंद बैद घर जाने के लिए निकले थे। भाटागांव के पास उनकी कार को ओवरटेक कर रोका गया। कार से 3 लोग उतरे और मारपीट करते हुए अपनी कार में बिठाकर ले गए। 20 घंटे के बाद उन्हें गुप्त स्थान पर ले जाकर रखा गया। उनके परिजनों से फिरौती की राशि मांगी गई। लंबी सौदेबाजी के बाद 20 लाख में मामला तय हुआ। 30 मार्च को जयचंद के परिजनों ने कुम्हारी पुलिस में उनके गुम होने की शिकायत की। फिरौती की मांग होने पर भिलाई-3 पुलिस ने अपहरण का मामला दर्ज किया था। इसी आधार पर मामले की विवेचना की जाती रही।
इसलिए मिला संदेह का लाभ : कोर्ट में सुनवाई के दौरान जयचंद बैद ने आरोपी को पहचानने से इनकार कर दिया था। फिरौती की रकम और सांसद के निवास पर मिली गाड़ी के संबंध में कोई ठोस बात नहीं कही। इसी आधार पर विशेष न्यायाधीश मंसूर अहमद ने फैसला सुनाया है। फैसले के अनुसार आरोपी को संदेह का लाभ दिया गया है।
किसी भी गवाह ने रामा सिंह के बारे में कुछ भी नहीं बताया : पुलिस ने इस केस में 11 गवाह बनाए थे। इनमें से एक भी गवाह ने रामा सिंह को इस केस में लिप्त नहीं बताया। बल्कि कई गवाहों ने तो यह कहा कि उन्हें पुलिस ने क्यों गवाह बना दिया उन्हें नहीं मालूम। वे इसके बारे में कुछ नहीं जानते। एक गवाह जो जयचंद वैद के पेट्रोल पंप का मैनेजर था, उसे भी पुलिस ने गवाह बनाया था, लेकिन अर्से से लापता है। अभियोजन उसे कोर्ट में प्रस्तुत नहीं कर पाया।
आरोप: जयचंद के अपहरण के बाद ली गई 25 लाख फिरौती में से रामा सिंह को भी हिस्सा मिला था।
साक्ष्य: अभियोजन यह भी साबित नहीं कर पाया। साक्ष्य भी प्रस्तुत नहीं कर पाया। जयचंद उसे पहचान भी नहीं सका।
आरोप : पुलिस की विवेचना में यह बात आई कि अपहरण के प्रयुक्त कार रामा सिंह के निवास के पास से बरामद की गई थी।
साक्ष्य: अभियोजन यह साबित ही नहीं कर पाया कि कार रामा सिंह के घर के पास बरामद हुई।