सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि अगर दर्ज सबूत किसी व्यक्ति की अपराध में संलिप्तता के संदेह को जन्म देते हैं तो अभियुक्त के खिलाफ आरोप तय किए जा सकते हैं। न्यायालय के लिए मामले में अभियुक्त के दोषी होने की संभावना पर इस चरण में विचार करने की आवश्यकता नहीं है।
न्यायमूर्ति अरिजीत पसायत और न्यायमूर्ति मुकुंदकम शर्मा की पीठ ने कहा कि अगर अपराध में अभियुक्त की संलिप्तता का संदेह पुख्ता है तो अदालत के लिए आरोप तय करने के लिए यह पर्याप्त है।
उन्होंने कहा, इस मौके पर अभियुक्त के दोषी होने की संभावना पर राय बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है। न्यायालय ने यह आदेश मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश को निरस्त करते हुए दिया जिसमें उसने कुछ लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और विश्वास हनन के आपराधिक आरोपों को खारिज कर दिया था।
निचली अदालत ने संजय चौधरी और अन्य के खिलाफ सांघी बंधुओं की शिकायत पर आरोप तय किया था। साघी बंधुओं ने आरोप लगाया था किअभियुक्तों ने 45 डंपर वाहन तथा चार हल्के वाणिज्यिक वाहन नवंबर 1988 में लीज पर लिए थे लेकिन इनमें से आठ वाहनों को उन्होंने कथित तौर पर बेच दिया। इस संबंध में सांघी बंधुओं ने अभियुक्तों पर धोखाधड़ी और विश्वास हनन का आरोप लगाया था।
साभार - दैनिक जागरण
MEITY to release draft DPDP rules for public consultation after Budget
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As reported by CNBC, MeitY is set to release draft rules for the Data
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