कंपनी कार्य मंत्रालय में राज्यमंत्री प्रेमचंद गुप्ता ने चार साल की लंबी कवायद के बाद गुरुवार को लोकसभा में नया कंपनी विधेयक पेश कर दिया। कंपनी विधेयक-2008 नामक यह विधेयक वर्षों पुराने कंपनी कानून 1956 का स्थान लेगा।
लोकसभा में पेश कंपनी विधेयक-2008 में निदेशकों के कार्य तथा उनके दायित्व सुनिश्चित करने के साथ-साथ सूचीबद्ध कंपनियों में कम से कम एक तिहाई स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है।
नए कंपनी विधेयक के मुताबिक एक व्यक्ति भी कंपनी चला सकता है। इसमें कहा गया है कि किसी भी कानून सम्मत कार्य के लिए सात अथवा अधिक व्यक्ति पब्लिक कंपनी गठित कर सकते हैं। दो अथवा अधिक व्यक्ति प्राइवेट कंपनी बना सकते हैं, जबकि एक व्यक्ति भी कंपनी बना सकता है।
विधेयक में कहा गया है कि ऐसी प्रत्येक सूचीबद्ध कंपनी, जिसमें चुकता पूँजी का समावेश है, उसमें कम से कम एक तिहाई स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति होना चाहिए। इसके अलावा अन्य लोक कंपनियों के मामले में केन्द्र सरकार न्यूनतम स्वतंत्र निदेशकों की संख्या तय करेगी।
उल्लेखनीय है कि पूँजी बाजार के नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कंपनियों के निदेशक मंडल में 50 प्रतिशत स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति को अनिवार्य बना दिया है, लेकिन नए कंपनी विधेयक में इसके लिए कम से कम एक तिहाई स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति का प्रावधान रखा गया है।
सरकार का दावा है कि कंपनी विधेयक-2008 दुनियाभर में अमल में लाए जा रहे सबसे बेहतर अनुभवों के आधार पर तैयार किया गया है।
इससे भारतीय कंपनियों को आधुनिक और खुले नियमन वाले माहौल में काम करने का मौका मिलेगा। विधेयक में शेयरधारकों को अधिक लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात कहने तथा कंपनी के कामकाज में इलेक्ट्रानिक संचालन (ई-गवर्नेंस) को बढ़ावा देने के प्रावधान किए गए हैं।
कंपनियों में आंतरिक संचालन के सभी मूलभूत सिद्धांतों को इसमें शामिल किया गया है। किसी भी क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों के नियमन और उनकी स्थापना से लेकर बंदी तक के विधान इस विधेयक में समेटे गए हैं। कंपनी अधिनियम 1956 के तहत काम कर रही कंपनियों को नए कानून के दायरे में लाने तथा एक टाइप की कंपनी को दूसरे टाइप की कंपनी में बदलने के भी इसमें सरल प्रावधान किए गए हैं।
विधेयक में कंपनियों से जुड़े अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालयों का गठन करने, कंपनियों के विलय, उनके अलग होने, पूँजी घटाने, दिवालिया तथा पुनर्वास, कंपनियों को समाप्त करने जैसे मामलों की सुनवाई के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण बनाने का भी इसमें प्रावधान किया गया है।
MEITY to release draft DPDP rules for public consultation after Budget
session
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As reported by CNBC, MeitY is set to release draft rules for the Data
Protection and Privacy (DPDP) Act for public consultation immediately
following the B...
3 months ago