May 31, 2007

भूमि अर्जन अधिनियम, 1894

१. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ-
२. निरसन
३. परिभाषायें-
४. प्रारंभिक अधिसूचना का प्रकाशन और ऐसा होने पर अधिकारियों की शक्तियाँ-
५. नुकसान के लिये संदाय-
५-क. आक्षेपों की सुनवाई-
६. इस बात की घोषणा की भूमि लोक प्रयोजन के लिये अपेक्षित है-
७. कलेक्टर घोषणा के पश्चात् अर्जन कार्यवाही करेगा-
८. उस भूमि का चिन्ह मापन और रेखांकन किया जायेगा-
९. हितबद्ध व्यक्तियों को सूचना-
१०. नामों और हितों के संबंध मं कथन अपेक्षित और प्रचलित करने की शक्ति-
११. कलेक्टर द्वारा जांच तथा अधिनिर्णय-
११-क. वह अवधि जिसके भीतर अधिनिर्णय किया जायेगा-
१२. कलेक्टर का अधिनिर्णय कब अंतिम होगा-
१३. जांच का स्थगन-
१३-क. लिपिकीय भूलों का सुधार-
१४. साक्षियों का समन करने और उसकी हाजिरी और दस्तावेजों की पेशी प्रदर्शित करने की शक्ति
१५. वे बातें जिन पर ध्यान दिया जावेगा, और जिनकी अपेक्षा की जायेगी-
१५-क. अभिलेखों आदि को बुलाने की शक्ति-
१६. कब्जा करने की शक्ति-
१७. अत्यांयिकता की दशाओ में विशेष शक्तियां-
१८. न्यायालय को निर्देश-
१९. न्यायालय के लिये कलेक्टर का कथन-
२०. सूचना की तामिल-
२१. कार्यवाहियों के प्रविषय पर निर्बन्धन-
२२. कार्यवाहियां खुले न्यायालय में होगी-
२३. प्रतिकार अवधारित करने में ली जाने वाली बातें-
२४. वे बातें जिनकी प्रतिकार अवधारित करने में उपेक्षा की जायेगी-
२५. न्यायालय के द्वारा अधिनिर्णीत प्रतिकार की रकम का कलेक्टर के द्वारा अधिनिर्णित रकम से कम न होना-
२६. अधिनिर्णयों का प्रारुप-
२७. खर्चें-
२८. अतिरिक्त प्रतिकार पर ब्याज देने का निर्देश कलेक्टर को दिया जा सकेगा-
२८-क. न्यायालय के अधिनिर्णय के आधार पर प्रतिकार की राशि का पुन: अवधारण-
२९. प्रभाजन की विशिष्टियां विनिर्दिष्ट की जायेंगी-
३०. प्रभाजन संबंधी विवाद-
३१. प्रतिकार का संदाय या उसका न्यायालय के निक्षेप-
३२. अन्य संक्रमण करने के लिये सक्षम व्यक्तियों की भूमियों लेखे निक्षिप्त धन का विनिधान-
३३. अन्य मामलों में धन का विनिधान-
३४. ब्याज का संदाय-
३५. बजट या कृषि भूमि का अस्थाई अधिभोग जबकि प्रतिकार के संबंध में मतभेद है, तब प्रक्रिया-
३६. प्रवेश करने और लेने की शक्ति और प्रत्यावर्तन पर प्रतिकार-
३७. भूमि की दशा के संबंध में मतभेद-
३८. विलोपित-
३८.-क. औद्योगिक समूत्थान की बाबत् कुछ प्रयोजनों के लिये यह समक्षा जाना कि वह कंपनी है-
३९. समुचित सरकार की पूर्व सम्मति की और करार के निष्पादन की शक्तियां-
४०. पूर्ववर्ती जांच-
४१. समुचित सरकार के साथ जांच-
४२. करार का प्रकाशन-
४३. धारा ३९ से लेकर धारा ४२ तक की धारायें वहां लागू नहीं होगी जहां कि सरकार कंपनियों को भूमि देेने के लिये करार से आबद्ध है-
४४. रेल कंपनी के साथ करार कैसे साबित किया जा सकेगा-
४४.-क अन्तरण आदि पर निर्बन्धन-
४४.-ख. सरकारी कंपनियों से भिन्न प्राइवेट कम्पनियों के लिये इस भाग के अधीन भूमि का अर्जन प्रयोजन विशेष के लिये किये जाने के सिवाय न किया जाना-
४५. सूचनाओ की तामिल-
४६. भूमि के अर्जन में बाधा डालने के लिये शास्ति-
४७. मजिस्ट्रेट अभ्यर्पण प्रवर्तित करायेगा-
४८. अर्जन पूरा करना अनिवार्य नहीं है, किन्तु यदि अर्जन पूरा न भी किया जाये तो भी प्रतिकार अनिनिर्णीत किया जायेगा-
४९. गृह या निर्माण के एक भाग का अर्जन-
५०. किसी स्थानीय प्राधिकारी या कम्पनी के खर्च पर भूमि का अर्जन-
५१. स्टाम्प शुल्क का फीस से छुट-
५१.-क . प्रमाणित प्रतिलिपि की साक्ष्य के रुप में स्वीकृति-
५२. अधिनियम के अनुसरण में की गई किसी बात के लिये वादों की दशा में सूचना-
५३. न्यायालय के साथ वाली कार्यवाही पर कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर का लागू करना-
५४. न्यायालय में हुई कार्यवाहियों में अपीलें-
५५. नियम बनाने की शक्ति

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