नई दिल्ली। केंद्र सरकार अनुसूचित जाति और जनजाति पर अत्याचार रोकने वाले मौजूदा कानून को और धारदार बनाने पर विचार कर रही है। कांग्रेस के नेतृत्ववाली गठबंधन सरकार की इस योजना को आगामी लोकसभा चुनावों में अपने परंपरागत वोटबैंक पर नजर से जोड़कर देखा जा रहा है।
सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निरोधक कानून 1989 में कुछ संशोधन के प्रस्ताव रखे हैं और इस पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग [एनसीएससी] से विचार मांगा है। इस संबंध में केंद्र सरकार संसद के आगामी सत्र में एक विधेयक पेश करने जा रही है। इन संशोधनों को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री मीरा कुमार ने अपनी मंजूरी दे दी है।
संभावना जताई जा रही है कि एनसीएससी के सदस्य इस माह के अंत में होने वाली अपनी औपचारिक बैठक में मंत्रालय के संशोधनों पर विचार करेंगे। मंत्रालय ने संविधान के अनुच्छेद-338 के उप बंध-9 के प्रावधानों के तहत इस वर्ष 8 जुलाई को आयोग के विचारों को ध्यान में रखा था। मौजूदा कानून की दो धाराओं में संशोधन का प्रस्ताव है। मंत्रालय ने दोनों धाराओं में एक-एक उपधारा जोड़ने का प्रस्ताव रखा है। संशोधन के तहत ऐसे मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए राज्य सरकार हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सहमति से अधिसूचना जारी कर हर जिले में एक विशेष सत्र न्यायालय की स्थापना करेगी।
साभार - दैनिक जागरण
UK: The Supreme Court on the 'creditor duty' - its existence, content and
engagement
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1 year ago