निजी बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा मौजूदा 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी करने के लिए व्यापक बीमा विधेयक संसद के आगामी सत्र में पेश किए जाने की संभावना है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि कानून मंत्री फिलहाल मसौदे की समीक्षा कर रहे हैं और मंत्रालय से स्वीकृति मिलने पर इसे मंत्रिमंडल के पास मंजूरी के लिए भेज दिया जाएगा। संसद का सत्र 17 अक्टूबर से शुरू होना है।
पिछले महीने विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह ने एफडीआई की सीमा 49 फीसदी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। प्रस्तावित बदलावों में इरडा अधिनियम-1999 और एलआईसी अधिनियम-1956 समेत कई अन्य कानूनों में संशोधन किया जाएगा। साल 2000 में बीमा क्षेत्र को खोलने के बाद, देश में करीब तीन दर्जन निजी कंपनियों ने अपना परिचालन शुरू किया। उनमें से कई को 26 फीसदी की एफडीआई सीमा की बाध्यता का सामना करना पड़ा और वे विदेशी निवेश सीमा बढ़ाने की मांग करती आई हैं।
बीमा कारोबार के बाजार में 65 फीसदी हिस्सेदारी वाली कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है। जनरल इंश्योरेंस कंपनियों में चार सरकारी कंपनियां : न्यू इंडिया इंश्योरेंस, ओरिएंटल इंश्योरेंस, नैशनल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस हैं।
साभार - नवभारत टाईम्स
UK: The Supreme Court on the 'creditor duty' - its existence, content and
engagement
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