बिलासपुर। ब्रॉडबैंड की धीमी रफ्तार को लेकर पेश जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस टीबी राधाकृष्णन ने कहा कि इस सेवा से वे भी परेशान हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया के दौर में खराब इंटरनेट सेवा देश को पीछे धकेलने के समान है। इसके अलावा मामले में जवाब के लिए चौथी बार समय मांगने पर केंद्र व राज्य सरकार को फटकार लगाई है। साथ ही कहा कि 15 दिन के अंदर जवाब नहीं आने पर दिल्ली में बैठे अधिकारियों को तलब किया जाएगा। ब्रॉडबैंड की धीमी स्पीड को लेकर बिलासपुर निवासी दिलीप भंडारी ने अधिवक्ता प्रकाश तिवारी, पलास तिवारी, प्रसून अग्रवाल के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका को सुनवाई के लिए मंगलवार को चीफ जस्टिस टीबी राधाकृष्णन व जस्टिस पी. सेम कोशी की डीबी में रखा गया।
इस दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि ब्रॉडबैंड स्पीड कम होने से मैं भी परेशान हूं। बीएसएनएल की ब्रॉडबैंड सेवा में वीडियो कांफ्रेंसिंग करते समय आवाज साफ सुनाई नहीं देती। उन्होंने कहा कि याचिका में बीएसएनएल को भी एक पक्षकार बनाया जाना था। डिजिटल इंडिया के दौर में खराब इंटरनेट सेवा देश को पीछे धकलने के समान है। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से जवाब पेश करने चौथी बार समय मांगा गया। इस बात पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इतने महत्वपूर्ण विषय में पेश जनहित याचिका पर सरकार जवाब पेश करने बार-बार समय ले रही है। कोर्ट ने केंद्र व राज्य शासन को फटकार लगाते हुए 15 दिन के अंदर जवाब प्रस्तुत नहीं होने पर दिल्ली में बैठे अधिकारियों को हाईकोर्ट में तलब करने की चेतवानी दी है। कोर्ट ने याचिका को सुनवाई के लिए दो सप्ताह बाद रखने का आदेश दिया है।
याचिका में क्या है
याचिका में कहा गया है कि ट्राई के निर्देशानुसार ब्रॉडबैंड की स्पीड कम से कम 2 एमबीपीएस होनी चाहिए। इसके विपरीत 512 केवीएस की ही स्पीड मिल रही है। इससे इंटरनेट में काम करने में परेशानी होती है। याचिका में यह भी कहा गया कि श्रीलंका, पाकिस्तान जैसे देश में भी ब्रॉडबैंड की स्पीड भारत से कई गुना अधिक है। नवंबर में प्रस्तुत इस जनहित याचिका में हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार, डिपार्टमेंट ऑफ टेली कम्युनिकेशन, ट्राई सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
इस दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि ब्रॉडबैंड स्पीड कम होने से मैं भी परेशान हूं। बीएसएनएल की ब्रॉडबैंड सेवा में वीडियो कांफ्रेंसिंग करते समय आवाज साफ सुनाई नहीं देती। उन्होंने कहा कि याचिका में बीएसएनएल को भी एक पक्षकार बनाया जाना था। डिजिटल इंडिया के दौर में खराब इंटरनेट सेवा देश को पीछे धकलने के समान है। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से जवाब पेश करने चौथी बार समय मांगा गया। इस बात पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इतने महत्वपूर्ण विषय में पेश जनहित याचिका पर सरकार जवाब पेश करने बार-बार समय ले रही है। कोर्ट ने केंद्र व राज्य शासन को फटकार लगाते हुए 15 दिन के अंदर जवाब प्रस्तुत नहीं होने पर दिल्ली में बैठे अधिकारियों को हाईकोर्ट में तलब करने की चेतवानी दी है। कोर्ट ने याचिका को सुनवाई के लिए दो सप्ताह बाद रखने का आदेश दिया है।
याचिका में क्या है
याचिका में कहा गया है कि ट्राई के निर्देशानुसार ब्रॉडबैंड की स्पीड कम से कम 2 एमबीपीएस होनी चाहिए। इसके विपरीत 512 केवीएस की ही स्पीड मिल रही है। इससे इंटरनेट में काम करने में परेशानी होती है। याचिका में यह भी कहा गया कि श्रीलंका, पाकिस्तान जैसे देश में भी ब्रॉडबैंड की स्पीड भारत से कई गुना अधिक है। नवंबर में प्रस्तुत इस जनहित याचिका में हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार, डिपार्टमेंट ऑफ टेली कम्युनिकेशन, ट्राई सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।